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________________ MU ॐ ह्री अहं नमः ॥ commmmmmmmmmmmmm श्री तत्त्वार्थाधिगमसूत्र के प्रथमाध्याय का हिन्दी पद्यानुवाद मूलसूत्रकार-पूर्वधर महर्षि पूज्य वाचकप्रवर श्री उमास्वातिजी महाराज 卐 हिन्दीपद्यानुवादक-शास्त्रविशारद - साहित्यरत्न - कविभूषण - पूज्याचार्य श्रीमद् विजय सुशीलसूरीश्वरजी महाराज * मंगलाचरण * (हरिगीत-छन्द) श्री आदि-शान्ति-नेमि-पार्श्व, विभु वीर वन्दन करके । जिनवाणी सूरिनेमि-लावण्य, दक्ष सुगुरु स्मरके । पूर्वधर वाचक उमास्वाति, रचित तत्त्वार्थसूत्र का। हिन्दीपद्यानुवाद करता, सुशील सूरि जग हित का ॥ १ ॥ ' प्रथमोऽध्यायः । 卐 मूलसूत्रम् सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्राणि मोक्षमार्गः ॥१॥ * हिन्दीपद्यानुवाद मुक्ति मन्दिर के लिए ए, सन्मार्ग विभु वीर ने कहा । श्रवण करके भव्य जीव ने, निज हृदयमहीं सद्ह्या ।। सम्यग्दर्शन - ज्ञान - चारित्र, विवेकयुक्त प्रादरे । शिथिल कर निज कर्मबन्धन, मोक्षमार्गमही संचरे ।। २ ॥
SR No.022532
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tikat tatha Hindi Vivechanamrut Part 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1994
Total Pages166
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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