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तत्त्वार्थसूत्रजैनाऽऽगमसमन्वय :
धर : अन्तकृदशाङ्गधर : अनुत्तरोपपातिकदशाङ्गधरः प्रश्नव्याकरणागधर विपाकश्रुतघर : क्षयोपशमिक : दृष्टिवादधर : क्षयोपशमिक : नवपूर्वी यावत् क्षयोपशमिक : चतुर्दशपूर्वी प्रयोपशमिक गणिः क्षयोपशमिक : वोचक :, अथ स : क्षयोपशमनिष्पन्न :, अथ सक्षयोपशमिक ।
अथ किं स : पारिवामिक : १ द्विविधः प्रज्ञप्तस्तद्यथा-सादिपारिणामिकश्च अनादिपारिणामिकश्च। अथ किं स: सादिपारिणामिकः ? अनेकविधः प्रज्ञप्तस्तद्यथा - जीर्णसुरा जीर्णगुड : जीर्णघृतं जीर्णतंदुलाश्चैव । अभ्राणि च अभ्रवृक्षा : सन्ध्या गन्धर्वनगराणि च । उल्कापाता : दिग्दाहा : गर्जिसविद्यु निर्घाता : यूपका : यक्षादीप्तकानि धूमिका महिका रज उद्घात : चन्द्रोपरागा : सूर्योपरागा : चन्द्रपरिवेषाः सूर्यपरिवेषा : प्रतिचन्द्र : प्रतिसूर्य : इन्द्रधनु : उदकमत्स्याः [इन्द्रधनु : खण्डानि] कपिहसितानि अमोघा वर्षा : वर्षधराः ग्रामा : नगराः गृहाणि पर्वताः पाताला : भूवनानि नारका : रत्नप्रभा शर्करप्रभा बालुकप्रभा पङ्कप्रभा धूमप्रभा तमःप्रभा तमःतमःप्रभा सौधर्मः यावत् अच्युत : वैयक : अनुत्तर : ईपित्मागभारा परमाणुपुदगल : द्विप्रदेशिक : यावत् अनन्तप्रदेशिक :, अथ स: सादिपारिणामिक : । अथ किस : अनादिपारिणामिक : १ धर्मास्तिकायः अधर्मास्तिकायः आकाशास्तिकायः जीवास्तिकाय: पुदगलास्तिकायः अद्धासमयः लोक : अलोक : भव्यसिद्धिका
अथ स : अनादिपारिणामिक ः। अथ स : पारिणामिक : । भाषा टीका-औदयिक किसे कहते हैं ? वह दो प्रकार का होता है - औदयिक और उदयनिष्पन्न । औदयिक किसे कहते हैं ? आठों कर्मों की प्रकृतियों के उदय से मोदयिक भाव होता है। उदयनिष्पन्न किसे कहते हैं ? वह दो प्रकार का होता है -