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254 Studies in Umāsvāti 13. वही, कारिका 268-9। 14. वही, कारिका 2711 15. वही, कारिका 272-3 । 16. वही, कारिका 274। 17. वही, कारिका, 275। 18. वही, कारिका 277-9। 19. वही, कारिका 2801 20. वही, कारिका 2821 21. वही, कारिका 283। 22. वही, कारिका 289। 23. आत्मादेशादात्मा भवत्यनात्मा परादेशात्। - वही। 24. वही, कारिका 1861 25. तत्त्वार्थभाष्य, सूत्र 9.41 26. तत्त्वार्थसूत्र, सूत्र 6.3-4। 27. प्रशमरतिप्रकरण, कारिका 189 की टीका। 28. कन्हैयालाल लोढा, आगम एवं कर्मसिद्धान्त के आलोक में पुण्य-पाप
तत्त्व, संपा. धर्मचन्द्र जैन, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, 1999। 29. दशवैकालिकसूत्र, सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल, जयपुर, 1983, गा. 9.4.4। 30. उत्तराध्ययनसूत्र, भाग-3, सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल, जयपुर, 1989, गा.
29/551 31. शुभपरिणामनिर्वृत्तो योगः शुभः। अशुभपरिणामनिवृत्तश्चा- शुभः। __ - सर्वार्थसिद्धि, पूज्यपाद देवनन्दी, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली 1971,
गाथा 6/3। 32. न पुनः शुभाशुभकर्मकारणत्वेन। यद्येवमुच्यते शुभयोग एव न स्यात्।
शुभयोगस्यापि ज्ञानावरणादि- बन्धहेतुत्वाभ्युपगमात्। - वही। 33. पुनात्यात्मानं पूयतेऽनेनेति वा पुण्यम् – वही। 34. कसायपाहुड, जयधवलाटीका, पुस्तक 1, पृ. 96। 35. स्थानांगसूत्र, नवमस्थान, आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, 1992 । 36. उत्तराध्ययनसूत्र, गा. 28.14।