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________________ आगम- साहित्य में पुद्गल एवं परमाणु 81 आयत और अनियत ये छह प्रकार प्रतिपादित हैं। स्थानांग सूत्र में इसके सात भेद भी हैं- दीर्घ, हस्व, वृत्त, त्रिकोण, चतुष्कोण, पृथुल और परिमण्डला" पुद्गल इनमें से किसी न किसी आकार में रहता है। __ भेदन क्रिया पुद्गल में उपलब्ध होती है, धर्मास्तिकाय आदि अन्य द्रव्यों में नहीं। भेद एवं संघात भी पुद्गल की पर्याय हैं। पुद्गल द्रव्य का ही भेदन होता है। धर्मास्तिकायादि अखण्ड द्रव्य हैं, उनका भेदन सम्भव नहीं। संघात भी पुद्गल में ही प्राप्त होता है। अनेक परमाणुओं एवं स्कन्धों के मिलने को संघात कहते हैं तथा स्कन्धों के टूटने को भेदन कहा जाता है। पुद्गलों में भेद (भेदन) एवं संघात (मिलन) की प्रक्रिया चलती रहती है । यह प्रकिया कभी स्वतः होती है तो कभी किसी निमित्त से होती है। परमाणु पुद्गलों के संघात से स्कन्धों का निर्माण होता है तथा कभी बड़े स्कन्ध के टूटने से छोटे स्कन्धों की तो कभी परमाणुओं की उत्पत्ति होती है। पुद्गल में संघात रुक्ष एवं स्निग्ध गुण के कारण होता है। अंधकार एवं छाया को पुद्गल की पर्याय स्वीकार किया गया है। अंधकार के परमाणु प्रकाश में तथा प्रकाश के परमाणु अंधकार में बदल सकते हैं। इसी प्रकार छाया भी पुद्गल का परिणाम है। क्योंकि पुद्गल से ही छाया का निर्माण होता है। सूर्य आदि के उष्ण प्रकाश को आतप, चन्द्रमा आदि के अनुष्ण प्रकाश को उद्द्योत कहते हैं। ये दोनों ही पुद्गल के पर्याय हैं। पुद्गल सम्पूर्ण लोक में व्याप्त हैं। वह परमाणु, द्विप्रदेशी स्कन्ध आदि के रूप में सर्वत्र उपलब्ध है। वह धर्मास्तिकाय के निमित्त से गति करता है तथा अधर्मास्तिकाय के निमित्त से स्थिर रहता है। जीव एवं पुद्गल __ जीव के साथ पुद्गल का घनिष्ठ सम्बन्ध है। आहारादि पुद्गलों को ग्रहण करके जीव उन्हें शरीर, इन्द्रिय आदि के रूप में परिणत करता है। शरीर, इन्द्रियादि भी पुद्गलों से निर्मित हैं। शरीर के भीतर बनने वाले रक्त, हार्मोन आदि भी सब पुद्गल ही हैं। जीव के संयोग के कारण उनमें चेतना की प्रतीति होती है। जीव के साथ सम्बद्ध ज्ञानावरणादि अष्टविध कर्म भी पौद्गलिक ही स्वीकार किए गए हैं। यही नहीं
SR No.022522
Book TitleJain Dharm Darshan Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2015
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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