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________________ जैन धर्म-दर्शन : एक अनुशीलन विभिन्न सम्प्रदायों एवं रामस्नेहियों में अल्पवय के बालक भी संन्यास ग्रहण कर लेते हैं । जीवन का कोई भरोसा नहीं कि प्रत्येक व्यक्ति आयु के 100 वर्ष पूर्ण करेगा । कोई भी मृत्यु को कभी भी प्राप्त कर सकता है, इसलिए जीवन को दुःखमुक्त बनाना है तो गृहस्थ एवं वानप्रस्थ आश्रमों से गुजरे बिना ब्रह्मचर्य से सीधे संन्यास आश्रम को स्वीकार किया जा सकता है । संस्कार-विमर्श 462 संस्कारों के सम्बन्ध में विचार करें तो ज्ञात होता है जिन संस्कारों का विधान स्मृतिशास्त्रों में किया गया है, उनमें अधिकतर संस्कार जैनों को भी मान्य हैं तथा कुछ संस्कार बौद्धों को भी स्वीकृत हैं । बौद्ध परम्परा में 1. गर्भमङ्गल (पुंसवन), 2. नामकरण, 3. अन्नाशन, 4. केशछेदन, 5. कर्णवेधन, 6. विद्यारम्भ, 7. विवाह, 8. प्रव्रज्या, 9. उपसम्पदा और 10. मृतक संस्कार का विधान है । ये सभी संस्कार बौद्ध भिक्षुओं द्वारा सम्पन्न कराये जाते हैं। डॉ. भीमराव अम्बेडकर के द्वारा भारत में स्थापित नव बौद्धों में गृहप्रवेश, परित्राणपाठ आदि के साथ 16 संस्कार भी प्रतिपादित हैं। जैन परम्परा में अल्पभेद के साथ हिन्दू परम्परा के 16 संस्कार मान्य हैं । जिनसेन के आदिपुराण में अनेक संस्कारों का उल्लेख प्राप्त होता है ।" किन्तु संस्कारों के सम्बन्ध में विस्तृत विवेचन 15वीं शती के वर्धमानसूरि के आचारदिनकर नामक ग्रन्थ में हुआ है । आचारदिनकर में 16 संस्कार गृहस्थ के लिए, 16 संस्कार साधु के लिए तथा 8 संस्कार दोनों के लिए प्रतिपादित हैं । 32 जैन परम्परा में यह प्रथम ग्रन्थ है, जो संस्कारों का इतने विस्तार से प्रतिपादन करता है I गृहस्थ के 16 संस्कार इस प्रकार हैं- 1. गर्भाधान संस्कार, 2. पुंसवन संस्कार, 3. जन्म संस्कार, 4. सूर्य-चन्द्र दर्शन संस्कार (सूर्य एवं चन्द्रमा की प्रतिमाओं की पूजा) 5. क्षीराशन संस्कार ( दुग्धपानप्रारम्भ), 5. षष्ठी संस्कार (देवमातृका पूजा), 7. शुचिकर्म संस्कार ( दैहिकशुद्धि, स्थानशुद्धि आदि से सम्बद्ध), 8. नामकरण संस्कार, 9. अन्नप्राशन संस्कार, 10. कर्णभेद संस्कार, 11. चूडाकरण संस्कार (केशमुण्डन), 12. उपनयन संस्कार ( गुरूपदिष्ट धर्ममार्ग में प्रवेश हेतु संस्कार), 13. विद्यारम्भ संस्कार, 14. विवाह संस्कार, 15. व्रतारोपण संस्कार
SR No.022522
Book TitleJain Dharm Darshan Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2015
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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