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प्रकीर्णक-साहित्य में समाधिमरण की अवधारणा
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55. संस्तारक प्रकीर्णक, गाथा 27 56. जो गारवेण मत्तो निच्छइ आलोयणं गुरुसगासे। ____ आरूहइ य संथारं अविसुद्धो तस्स संथारो।। -संस्तारक प्रकीर्णक, गाथा 33 57. वही, गाथा 36-40 58. वही, गाथा 41-43 59. वही, गाथा 46 60. तणसंथारनिसन्नो वि मुणिवरो भट्ठरागमयमोहो। ___ जं पावइ मुत्तिसुहं कत्तो तं चक्कवट्टीवि।। -वही, गाथा 48 61. वही, गाथा 55 62. वही, गाथा 104 63. महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक, गाथा 54 64. संस्तारक प्रकीर्णक, गाथा 100 65. महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक, गाथा 34 66. वही, गाथा 109 67. इय पडिवण्णाणसणो सम्मं भावेज्ज भावणाओ सुभा।
एगत्ताऽणिच्चत्ताऽसुइत्त अण्णत्त पभिईसो।। -आराधनाप्रकरण, गाथा 63 68. महाप्रत्याख्यान, गाथा 16 69. वही, गाथा 44 70. चन्द्रवेध्यक प्रकीर्णक, गाथा 167 71. आराधनाप्रकरण (अभयदेवसूरि), गाथा 66 72. महाप्रत्याख्यान, गाथा 114 73. भक्तपरिज्ञा, गाथा 70 74. वही, गाथा 77 75. आराधनाप्रकरण, गाथा 79 76. वही, गाथा 83 77. जं वेलं कालगदो भिक्खू तं वेलमेव णीहरणं।
जग्गणबंधणछेदणविधी अवेलाए कादव्वा।। -भगवती आराधना, गाथा 1968 78. स्वाध्याय शिक्षा, जून 1991