________________
जैन धर्म-दर्शन : एक अनुशीलन
14. वही, सूत्र 504 15. वही, सूत्र 438-439 16. गइलक्खणो उ धम्मो, अहम्मो ठाणलक्खणो।
भायणं सव्वदव्वाणं, नहं ओगाहलक्खणं। वत्तणालक्खणो कालो, जीवो उवओगलक्खणो। नाणेण दंसणेण च सुहेण दुहेण य ।। सदधयार उज्जोओ, पभा छायातवे इव ।
वण्णरसगंधफासा, पुग्गलाणं तु लक्खणं।। - उत्तराध्ययनसूत्र, 28.9-12 17. प्रज्ञापनासूत्र, पद 3 सूत्र 270 18. व्याख्याप्रज्ञप्ति शतक 13, उद्देशक 4, सूत्र 24-28 19. व्याख्याप्रज्ञप्ति शतक 20, उद्देशक 2, सूत्र 4-8 20. अत्र द्रव्याभेदवर्ति - वर्तनादिविवक्षया।
कालोऽपि वर्तनाद्यात्मा जीवाजीवतयोदितः पर्यायाणां हि द्रव्यत्वेऽनवस्थापि प्रसज्यते।
पर्यायरूपस्तत्कालः पृथग् द्रव्यं न संभवेत्।।-लोकप्रकाश,सर्ग 28, श्लोक 13 व 15 21. वही 28.47 22. वही 28.48 23. वही 28.49 24. वही 28.53 25. लोकप्रकाश 28.55 के पश्चात् 26. व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र शतक 3 सूत्र 24-25