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पुस्तक-परिचय जैन धर्म-दर्शन के प्रमुख विषयों की चर्चा प्रस्तुत पुस्तक में सरल भाषा में प्रामाणिकता के साथ उपलब्ध है। पुस्तक में 28 आलेख हैं जो जैन तत्त्वमीमांसा, ज्ञानमीमांसा एवं आचारमीमांसा के मौलिक स्वरूप को प्रस्तुत करते हैं।
तत्त्वमीमांसा के अन्तर्गत अस्तिकाय, द्रव्य, काल, आत्मा, पुद्गल, परमाणु, कारण-कार्य सिद्धान्त, पंच समवाय, अनेकान्तवाद, तीर्थङ्कर, नवतत्त्व आदि की गहन चर्चा की गई है। ज्ञानमीमांसा में श्रुतज्ञान, सम्यग्दर्शन, प्रमाण-विवेचन, अवग्रह की प्रमाणता, नय, निक्षेप आदि विषय विशदतया विवेचित हैं। आचारमीमांसा में अप्रमत्तता, अहिंसा, अपरिग्रह, भोगोपभोगपरिमाण व्रत, समाधिमरण, प्रतिक्रमण आदि विषयों पर विश्लेषणात्मक एवं जीवनोपयोगी प्रकाश डाला गया है।
पुस्तक में वैदिक एवं बौद्ध परम्परा के साथ समानता एवं भेद प्रदर्शित करने वाले आलेख भी समाहित हैं। 'वीतराग और स्थितप्रज्ञ' तथा 'जैन आगम-परम्परा एवं निगम-परम्परा में अन्तःसम्बन्ध' आलेख वैदिक एवं जैन परम्परा में निकटता तथा भिन्नता का चिन्तन प्रस्तुत करते हैं। दो आलेख जैन एवं बौद्ध धर्म-दर्शन में विभिन्न मान्यताओं को लेकर परस्पर साम्य एवं भेद का बोध कराते हैं। वाचक उमास्वाति की दो कृतियों तत्त्वार्थसूत्र एवं प्रशमरतिप्रकरण में प्राप्त साम्य एवं भिन्नता को भी एक आलेख में प्रदर्शित किया गया है।
पुस्तक जिज्ञासुओं एवं शोधार्थियों दोनों के लिए उपादेय है।