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- इस प्रकार जीवनशैली के परिवर्तन के लिए संयम, श्रम, स्वावलम्बन एवं व्यसनमुक्त जीवन का सैद्धान्तिक प्रशिक्षण अपेक्षित है। अणुव्रत की आचार-संहिता का जीवनशैली के परिवर्तन में बहुत बड़ा योगदान है। इसके साथ-साथ निम्नलिखित अनुप्रेक्षाओं का अभ्यास भी जीवनशैली के परिवर्तन के लिए अपेक्षित है___ 1. अहिंसा की अनुप्रेक्षा,
2. सत्य, अचौर्य की अनुप्रेक्षा, 3. ब्रह्मचर्य की अनुप्रेक्षा, 4. इच्छापरिमाण की अनुप्रेक्षा, 5. स्वावलम्बन की अनुप्रेक्षा,
6. व्यसनमुक्ति के प्रयोग। 4. आजीविका-शुद्धि और आजीविका प्रशिक्षण
अहिंसा-प्रशिक्षण का चौथा आयाम है-आजीविका-शुद्धि और आजीविका-प्रशिक्षण। मनुष्य के पास शरीर है, परिवार है अतः उसे उसका पोषण और संरक्षण भी करना पड़ता है। इसलिए उसके पास कोई-न-कोई आजीविका हो यह अत्यन्त आवश्यक है, किन्तु हिंसा प्रधान आजीविका का निषेध होना चाहिए। ऐसे व्यापार, जिसमें महाहिंसा होती है, उनका वर्जन करना चाहिए, जैसे-जंगल कटवाना, मांस का विक्रय करना आदि। इस दृष्टि से सम्यक् आजीविका का प्रशिक्षण अहिंसा का महत्त्वपूर्ण पहलू बन जाता है। आजीविका प्राप्त करके भी उसे अनैतिक नहीं बनने देना भी अहिंसा का ही एक प्रयोग है। कुछ लोग अपनी आवश्यकता से इतना अधिक खर्च कर लेते हैं कि बहुत सारे गरीब लोगों को रोटी मिलना भी मुश्किल हो जाता है। इसलिए अहिंसा-प्रशिक्षण में आजीविका का सम्यक् प्रयोग जहां व्यक्ति को परिग्रह से मुक्त करता है, वहीं अन्य लोगों की आजीविका की रक्षा भी करता है। ---