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सचमुच वह ऐसा करता भी है तो ऐसी अहिंसा भावरूप और द्रव्यरूप दोनों ही हुई।
2. भाव अहिंसा किन्तु द्रव्य अहिंसा नहीं-एक मुनि किसी भी प्राणी की हिंसा न करने का संकल्प लेता है और ईर्या-समिति पूर्वक अपनी राह पर देखते हुए चलता है, फिर भी बहुत से जीवों का अनजाने में घात हो जाता है। यहाँ पर भाव अहिंसा तो है पर द्रव्य अहिंसा नहीं है।
3. भाव अहिंसा नहीं पर द्रव्य अहिंसा-एक मछुआरा मछली मारने के उद्देश्य से जाल फैलाता है, किन्तु संयोगवश कभी-कभी वह एक भी मछली नहीं पकड़ पाता है। यहाँ पर भाव अहिंसा नहीं है किन्तु द्रव्य अहिंसा है।
4. न भाव अहिंसा और न द्रव्य अहिंसा-मांस आदि के .. लोभ से आदमी जब मृग आदि जीवों को मारता है तो उसके द्वारा न भाव अहिंसा होती है और न द्रव्य अहिंसा ही होती है। अहिंसा का पालन क्यों?
___ अहिंसा पालन करने का व्यावहारिक हेतु यह है कि सभी जीव जीना चाहते हैं, सभी को अपना जीवन प्रिय होता है। मरना कोई नहीं चाहता। मारने से उन्हें. कष्ट पहुंचता है। किसी को कष्ट पहुंचाना उचित नहीं अतः अहिंसा का पालन करना चाहिए। अहिंसा पालन करने का यह व्यावहारिक कारण है, प्रधान कारण नहीं। अहिंसा-पालन करने का नैश्चयिक या प्रधान कारण है-आत्म-कल्याण। हिंसा करने वाला व्यक्ति दूसरों का अहित करने से पहले अपना अहित करता है। हिंसा का भाव मन में लाकर वह अपनी आत्मा का पतन करता है, क्योंकि मन में हिंसा के भाव आने मात्र से पापकर्म का बंधन हो जाता है, आत्मा मलिन हो जाती है। हिंसा करने वाला व्यक्ति दूसरों से वैरभाव बढ़ाकर उन्हें अपना शत्रु बना लेता है। इसके