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का संग्रह बाह्य परिग्रह है। अंतरंग शुद्धि होने से बाह्य परिग्रह की सीमा स्वतः हो जाती है और बाह्य परिग्रह की सीमा होने से धीरेधीरे पदार्थ के प्रति होने वाली मूर्छा टूटती जाती है। बाह्य पदार्थ के निम्न नौ प्रकार हैंबाह्य परिग्रह
1. क्षेत्र-उपजाऊ भूमि की मर्यादा। इसमें खेत, खलिहान,
चारागाह, बाग, पहाड़, खान, जंगल आदि सभी तरह की
खुली भूमि का समावेश है। 2. वास्तु-मकान, दुकान, गोदाम, अतिथि-गृह, बंगला आदि। 3. हिरण्य-चांदी के बर्तन, आभूषण तथा चांदी के अन्य
उपकरण आदि। 4. सुवर्ण-स्वर्ण, सोने के बर्तन, आभूषण, चैन, घड़ी आदि। 5. धन-रुपये, पैसे, सिक्के, नोट, ड्राफ्ट, चैक, बैंक बैलेंस ' आदि। 6. धान्य-अनाज, गेहूँ, चावल, उड़द, मूंग, बाजरा आदि। 7. द्विपद-दो पैर वाले प्राणी; जैसे-स्त्री, पुरुष, तोता, मैना
आदि।
8. चतुष्पद-चार पैर वाले प्राणी, जैसे- हाथी, घोड़ा, ___ गधा, बकरी, गाय, भैंस आदि पशु। 9. कुप्य या गोंप्य-स्वर्ण, चांदी की वस्तुओं के अतिरिक्त
अन्य सभी वस्तुओं का समावेश कुप्य में होता है। कुप्य का तात्पर्य घर की समस्त सामग्री से है; जैसे-घर के समस्त बर्तन, सोफासेट, मेज, कुर्सी, अलमारी, पंखे, टेलीविजन, कार, स्कूटर, फ्रीज आदि।