________________
न्याय शिक्षा ।
इस लिये आगको छोड धूमकी अवस्थाकी व्यवस्था नहीं बन सकती है । इस प्रकार विपक्ष बाधक प्रमाण जबतक तहीं मिलता तब तक व्याप्ति ( अविनाभाव) निश्चय मार्गमें नहीं आ सकती। बस यही तर्क प्रमाणकी जरूरत । इतना ही क्यों ? शब्द और अर्यके वाच्य वाचकभाव संबन्धक निश्चय करनेमेंभी इसी तर्ककी बहादुरी है।
अब चौथा अनुमान प्रमाण
साधनसे साध्यके सम्यग्ज्ञान होनेका नाम अनुमान है। साधन वही कहलाता है जो कि-साध्यको छोड कभी किसी जगह न रहे; बस यही तो अविनाभाव, साधनका अद्वितीयअसाधारण लक्षण है । इससे, साधनके तीन या पांच लक्षण मानने वाले लोग खंडित हो जाते हैं। .: . तथाहि
बौद्धोंने, साधनके पक्षधर्मत्व-सपक्षसत्त्व और विपक्षसे न्याहत्ति, ये तीन लक्षण माने हैं । और नैयायिकोंने, उक्त तीन लक्षण, अबाधितत्व और असत्प्रतिपक्षत्त्व ये पांच लक्षण माने हैं। मगर यह बात ठीक नहीं मालूम पडती । एकही अविनाभाव लक्षण, साधनके लिये जब काफी है, तो तीन या पांच लक्षणोंकी क्या जरूरत ? । ऐसा कोई सचा हेतु नहीं मिलसकता, जो कि-अविनाभाव लक्षणसे उदासीन रहता हो । एवं ऐसा कोई हेत्वाभासभी नहीं मिल सकता, जो कि अविनाभाव लक्षणका ठीक ठीक स्पर्श करता