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________________ २७६ विश्वतत्वप्रकाशः [ ८४ [८४. शक्तिव्यक्तिपरीक्षा।] ननु अविद्यमानस्य पटादिकार्यस्योत्पत्ती खरविषाणादेरप्युत्पत्तिः । तथा हि। वीतं कार्य नोत्पद्यते अविद्यमानत्वात् खरविषाणवदिति बाधक सद्भावात्। तस्माच्छक्तिरूपेण विद्यमानस्य कार्यस्य पश्चाद् व्यक्तिरूपं भवतीत्यङ्गीकर्तव्यमिति परः कश्चित् स्वयूथ्यः प्रत्यवोचत् । सोऽप्यतत्त्वज्ञः तदुक्तेर्विचारासहत्वात् । तथा हि। अविद्यमानस्य पटस्यो त्पत्तौ उपादानकारणानि तन्तवः सन्ति । निमित्तकारणानि तुरीवेमशलाकाकुविन्दकरव्यापारादीनि सन्ति। तन्तूनामातानवितानरूपविशिष्टसंयोगः सहकारि कारणमस्तीति पटस्योत्पत्तिर्भवत्येव । खरविषाणादेः कारणत्रयाभावान्नोत्पत्तिः संभाव्यते। ननु अविद्यमानस्य पटादेरेतानि तत्त्वादीनि कारणानीति कथं निरूप्यत इति चेत् एतेषु सत्सु इदं कार्यमुत्पद्यते न सत्सु नोत्पद्यत इत्यन्वयव्यतिरेकयोभूयोदर्शनादिति ब्रूमः । यथा तवाप्यविद्यमानस्य व्यक्तिरूपस्यैतानि तन्न्वादीनि कारणानीत्यन्वयव्यतिरेकयोभूयो दर्शनादेव निश्चयो नान्यथा तथा अस्माकमपीत्यर्थः। यदप्यन्यदाख्यत्-वीतं कार्य नोत्पद्यते अविद्यमानत्वात् खरविषाणवदिति ८४. शक्ति व्यक्ति परीक्षा- कार्य के व्यक्त होने के मत का पुनः विचार करते हैं। जो कार्य विद्यमान नही है वह उत्पन्न नही हो सकता – उदाहरणार्थ, गधे के सींग की उत्पत्ति नहीं हो सकती - अतः कार्य पहले शक्ति रूप में विद्यमान होता है तथा बाद में उसी की व्यक्ति होती है यह सारयों का कथन है | इस का उत्तर पहले दिया ही है ! जिस कार्य के योग्य उपादान, निमित्त तथा सहकारी कारण होते हैं उस की उत्पत्ति होती है तथा जिस के ऐसे कारण नही होते उस की उत्पत्ति नही होती। कार्य की उत्पत्ति के लिए कारण विद्यमान होना आवश्यक है । वस्त्र के तन्तु आदि उपादान कारण, बुनकर, करघा आदि निमित्त कारण एवं तन्तुओं का सीधा-आडा संयोग यह सहकारी कारण विद्यमान होता है अतः वस्त्र की उत्पत्ति होती है। गधे के सींग के ऐसे कोई कारण नही है अतः उस की उत्पत्ति नही होती। जब वस्त्र विद्यमान ही नही होता तब तन्तुओं को उस के कारण कैसे कहा जाता है यह आक्षेप भी उचित नही। पहले तन्तरूप कारण हों तो ही वस्त्ररूप १ सांख्यमुख्यः।
SR No.022461
Book TitleVishva Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1964
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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