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________________ -३ ३] वेदप्रामाण्यनिषेधः ननु नित्यः शब्दः आकाशैकगुणत्वात् तद्गतपरममहत्ववदिति शब्दस्य नित्यत्वमिति चेन्न । हेतोरसिद्धत्वात् । तथा हि । शब्दो नाकाशगुणः अस्मदादिबाह्येन्द्रियग्राह्यत्वात् पटादिवत् । आकाशं वा नास्मदादिबाह्येन्द्रियग्राह्यगुणवत् सदास्पर्शरहितद्रव्यत्वात् नित्यत्वात् अखण्डत्वात् निरवयवत्वात् कालवत् । तस्मादनित्यः शब्दः सामान्यविशेषवत्त्वे सत्यस्मदादिबाह्येन्द्रियग्राह्यत्वात् पटादिवत् । भार्से प्रति अनित्यः शब्द बाह्येन्द्रिग्राह्यद्रव्यत्वात्' पटादिवदिति प्रसाध्येत । प्राभाकरं प्रति अनित्यः शब्दः अस्मदादिबाह्येन्द्रियग्राह्यगुणत्वात् २ पटरूपादिवदिति प्रसाधनीयम्। एतत् कथाविचारे प्रपञ्चितमिति नेह प्रतन्यते । तथा अनित्यः शब्दः भावत्वे सति कृतकत्वात् विद्युदादिवत् । ननु शब्दस्य कृतकत्वाभावेन विशेष्यासिद्धो हेतुरित चेन्न। पुरुषविवक्षाप्रयत्नाभ्यां ताल्वादिभिः क्रियमाणस्य शब्दस्य अनुभूयमानत्वात् । अथ ताल्वादीनां व्यञ्जकत्वात् कारकत्वाभाव इति चेन्न । ताल्वादिव्यापारान्वयव्यतिरेकाभ्यां शब्दोपलब्ध्यनुपलब्धिनिश्चयेन ताल्वादीनां कारकत्व शब्द आकाश का गुण है अतः आकाश की व्यापकता के समान शब्द भी नित्य है यह कथन युक्त नही क्यों कि शब्द आकाश का गुण नही है । आकाश के गुण बाह्य इन्द्रियों से ज्ञात नही होते किन्तु शब्द बाह्य इन्द्रियों से ज्ञात होता है अतः शब्द आकाश का गुण नही हो सकता। भा तथा प्राभाकर मीमांसकों के शब्द विषयक मतों का परीक्षण हमने ' कथाविचार ' ग्रन्थ में विस्तार से किया है। अतः यहां थोडे में ही सन्तोष करते हैं। शब्द सा भावरूप पदार्थ है जो कृतक है अतः विद्युत् आदि के समान शब्द भी अनित्य है । बोलने की इच्छा होने पर पुरुष के प्रयत्न से तालु, जीभ आदि की क्रिया से शब्द निर्माण होता है। अतः शब्द को कृत कहा है। इसके विरोध में प्रतिपक्षी कहते हैं कि तालु आदि की क्रिया शब्द को सिर्फ व्यक्त करती है - उत्पन्न नही करती। किन्तु यह कथन उचित नही। तालु आदि की क्रिया में और शब्द में नियत अन्वयव्यतिरेक सम्बन्ध पाया जाता है - क्रिया हो तो . शब्द सता १ भाट्टमते नैयायिकोक्तनवद्रव्यशब्दतमःसहित-एकादश द्रव्याणि । २ परमाणुगतरूपादिगुणेन । ३ ग्रन्थे । ४ प्रकाशकत्वात् ।
SR No.022461
Book TitleVishva Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1964
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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