________________
प्रसिद्धिमां मूकायेलो छे...
ग्रन्थकर्ता तेमज उपर्युक्त ग्रन्थकर्ताओ के जेओए जैनप्रजाने ज्ञानदान करी उपकार कर्यो छे तेओनो अन्तःकरणपूर्वक आभार मानीये छोये, अने आवा शिष्यरत्नोने विद्वान् बनावमार भट्टारकश्रीमान् सूरीश्वरजीमहाराजनो पण अमो वारंवार अन्तः करणपूर्वक आभार मानीये छीये, तेमज उपर्युक्त महात्माओ तथा बीजा शिष्योने ज्ञानमां मदद करनार शेठ मनसुखभाइ भगुभाइ तथा तेमना पुत्ररत्न शेठ माणेकलालभाइने धन्यवाद आपवापूर्वक तेओश्रीनी धर्मकार्यनी अमो अनुमोदना करीये छीये. _आ ग्रन्थ छपाववामां द्रव्यनी सहाय आफ्नार-मांडवीनी पोलना रहीश-धेबरीया जमनादास हीराचंदनो पण अमो आभार मानीये छीये-छेवटे उपयुक्त महात्माओ जैनकोमना हितने माटे अनेक ग्रन्थोनी रचना करे तेमज अन्य मुनिसहाराजाओ पण आवीज रोते जैनकोमना हितने माटे अन्योनी रचना करी उपकार करे केटलं कही अमे आ प्रस्तावना संपूर्ण करीये छीये. - आ ग्रंथमा मुद्रणदोपथी या दृष्टिदोषथी मूल रही गइ होय तो सुधारी सुज्ञो वांचशे.
लिः श्रीश्रमणसंघ चरणकमलोपासक पाशीलालापुलाल शाह.