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नहीं है फिर भी कहना कि जो २ चैत्रका पुत्र होता है वह २ काला होता है । यह ज्ञान, तर्क नहीं है; किन्तु झूठा तर्क है। ..
अनुमानाभासका स्वरूप:इदमनुमानाभासम् ॥ ११ ॥ भाषार्थ-नीचेके सूत्रोंमें कहे हुए सब अनुमानाभास हैं।
भावार्थ-अवयवाभासोंके दिखानेसे अनुमान-स्वरूपाभास का वर्णन होजाता है क्योंकि अवयवोंको छोड़कर अनुमान, भिन्न कोई भी वस्तु नहीं हैं।
पनाभासका स्वरूप:तत्रानिष्टादिः पक्षाभासः ॥ १२॥
भाषार्थ-उन अवयवाभासोंमेंसे, अनिष्ट, बाधित और सिद्ध, इन तीनोंही पक्षोंको पक्षाभास कहते हैं।
अब अनिष्टपत्नाभासको स्पष्ट करते हैं:अनिष्टो मीमांसकस्यानित्यः शब्दः ॥ १३ ॥
भाषार्थ-मीमासकोंको अनित्य शब्द अनिष्ट हैं-इष्ट नहीं हैं; क्योंकि उन्होंने शब्दको नित्य माना है।
भावार्थ- अगर मीमांसक, पक्ष बोलें कि शब्द अनित्य होता है तो वहां यही उत्तर पर्याप्त होगा, कि तुम्हारा पक्ष अनिष्ट नामका पक्षाभास है।
सिद्धपत्नाभासका उदाहरण:सिद्धः श्रावसः शब्दः ॥१४॥
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