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________________ परीक्षामुल A - A किसीका कहना है कि यदि उदाहरण नहीं दिया जायगा; तो वे लोग व्याप्तिका निश्चय कैसे करेंगे । उत्तर यह है :___ हेतुप्रयोगो हि यथाव्याप्तिग्रहणं विधीयते सा च तावन्मात्रेण व्युत्पन्नैरवधार्यते ॥ ९६ ॥ भाषार्थ-जिसकी साध्य के साथ व्याप्ति निश्चित है ऐसे ही हेतुका प्रयोग कियाजाता है. बस ; उस हेतुके प्रयोगसे-उदाहरण श्रादिक के विना-ही बुद्धिमान् लोग व्याप्तिका निश्चय करलेते हैं। भावार्थ-जबकि साध्यके विना नहीं होनेवाले हेतुका ही प्रयोग कियाजायगा, तो बुद्धिमान्लोग सुतरां यह निश्चय कर लेवेंगे, कि जहां यह हेतु होगा वहाँ यह साध्यभी अवश्य रहेगा। और:तावता च साध्यसिद्धिः ॥७॥ भाषार्थ-उस हेतु ( साध्यके बिना नहीं होनेवाले हेतु ) के प्रयोगसे ही साध्यकी सिद्धि होजाती है । भावार्थ--साध्यकी सिद्धिमें दृष्टान्त आदिककी कोई ज़रूरत नहीं होती। और पक्षका प्रयोग करना भी इसीसे सफल होजाता है: तेन पक्षस्तदाधारसूचनायोक्तः ॥ ९८॥ भाषार्थ-इसीकारण,तदाधारसूचनाय-साध्यके विना नहीं होने वाले, साधनका प्राधार जतानेको-ही पक्षका प्रयोग करना कहा है। भावार्थ- जब साध्यके विना नहीं होनेवाले हेतुसे ही साध्य
SR No.022447
Book TitleParikshamukh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhanshyamdas Jain
PublisherGhanshyamdas Jain
Publication Year
Total Pages104
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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