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समर्पण ।
स्याद्वादवारिधि, वादिगजकेसरी, न्यायवाचस्पति, गुरुवर्य श्रीयुक्त पंडित गोपालदासजी बरैया, संस्थापक व संचालक, श्रीजैनसिद्धान्तविद्यालय, मोरेना (ग्वालियर) के कर-कमलों में हार्दिक भक्ति से प्रेरित हो रचयिता द्वारा यह अनुवाद सविनय
समर्पित हुआ।