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आप्त-परीक्षा। मोक्षमार्गस्य नेतारं, भेत्तारं कर्मभूभृताम् । ज्ञातारं विश्वतत्वानां, वंदे तद्गुणलब्धये ॥ ३ ॥ ___कर्मरूपी पर्वत को चूर्ण कर और समस्त पदार्थों को जान कर जो मोक्ष का रास्ता बतलाने वाले देव हैं, मैं उन को ही यहां पर इसलिये नमस्कार करता हूं, जिस से मुझ को भी ये गुण प्राप्त हो जावें। इत्यसाधारणं प्रोक्तं, विशेषणमशेषतः । परसंकल्पिताप्तानां, व्यवच्छेदप्रसिद्धये ॥ ४ ॥
. और "मोक्षमार्ग नेतृत्व, कर्म भूभृद्भतृत्व, विश्वतत्त्व मातृत्व," ये तीन विशेषण इष्टदेव के इसलिये दिये जाते हैं, जिस से नैयायिक, वैशेषिक, सांख्य व बौद्ध आदि के माने हुए ईश्वर कपिल व सुमतादिक देवों का ग्रहण न होवे । अन्ययोगव्यवच्छेदानिश्चिते हि महात्मनि । तस्योपदेशसामर्थ्यानुष्ठानं प्रतिष्ठितम् ॥ ५ ॥ ... क्योंकि इनका निराकरण करने से ही जिनेन्द्र देव का निश्चय होता है और जिनेन्द्र देव का निश्चय होने से, उन के उपदेश द्वारा संसारी जीव अपना कल्याण कर सकते हैं। तत्रासिद्धं मुनीन्द्रस्य, भेत्तृत्वं कर्मभूभृताम् । ये वदन्ति विपर्यासात्तान्प्रत्येवं प्रचक्ष्महे ॥ ६ ॥