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महाराज भरत ने आराधना, अर्चना और वन्दना कर अनन्त सुख प्राप्त किया।
श्री सगरचक्रवर्ती महाराज के ६० हजार पुत्रों द्वारा तीर्थरक्षा, रावण-मन्दोदरी द्वारा अद्वितीय जिनभक्ति, श्री गौतम स्वामीजी द्वारा १५०३ तापसों को प्रतिबोध आदि अनेक प्रसंगों का उल्लेख शास्त्रों में मिलता है।
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श्यामबजी जैन तीर्थ सुशीत विहार
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Madandidashiadiadiadiadiadaadamaadaad Madana
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الجانب الافتا الخلل
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पावन भूमि ! महान् आयोजन !! अपूर्व अवसर !!! wwwmov( ३ )newwwwwwwwws