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________________ XXXXXXXXXXXX ॐ ह्रीं श्री अहँ नमः ॥ जय अष्टापद卐नमो तित्थस्स卐 धन्य तीर्थ । चउविसंपि जिणवरा तित्थयरा मे पसीयन्तु ।। श्रद्धा एवं समर्पण का आगार.... शांत-प्रशांत पुण्य भूमि में तीर्थनिर्माण.... एक स्वणिम इतिहास को सृजन करने वाला.... तन-मन के संताप को प्रशांत करने वाला.... आपका अपना प्यारा प्रभावी अभिनव तीर्थ .. आपकी श्रद्धा-भक्ति-समर्पण का अनूठा केन्द्र.... भारतभूषण राजस्थानशणगार गोड़वाड़गौरव श्री अष्टापद जैन तीर्थ सुशील विहार , वरकाणा रोड, मु. रानी स्टेशन, जिला-पाली (राज.) 0 ०२६३४ - २२७१५ + सम्पूर्ण भारतवर्ष में अपने ढंग का प्रथम प्रयास * . ॥ अभिनव तीर्थ-निर्माण योजना ।। प्रेरक : परमपूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी महाराज साहब एवं पूज्य पंन्यासप्रवर श्री जिनोत्तम विजयजी गरिगवर्य महाराज साहब 乐玩玩玩玩乐乐玩玩玩玩乐乐玩玩玩玩玩玩乐乐玩玩玩玩玩玩乐乐玩玩乐乐场 听听听听听听听乐乐坊乐坊乐玩玩玩玩乐乐长乐历乐乐
SR No.022444
Book TitleVishva Kartutva Mimansa Evam Jagat Kartutva Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri, Jinottamvijay
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1996
Total Pages116
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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