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________________ ११४ यहांपर जहां जहां अग्नि नहीं है वहां वहां धूम भी नहीं है, जैसे तालावमें, इस प्रकार कहना चाहिये । इससे विपरीत कथन असम्यग्वचन होनेसे उदाहरणाभास होजाता है । अन्वयव्याप्तिमे व्यतिरेकदृष्टान्तका कहना और व्यतिरेकव्याप्तिमें अन्वयदृष्टान्तका कहना उदाहरणाभास है । इस प्रकार उदाहरणका निरूपण किया। ननु गर्भस्थः श्यामो मैत्रतनयत्वात्साम्प्रतमैत्रतनयवदित्याद्यनुमानप्रयोगे पञ्चसु मैत्रतनयेष्वन्वयदृष्टान्तेषु यत्र यत्र मैत्रतनयत्वं तत्र तत्र श्यामत्वमित्यन्वयव्याप्तेः, व्यतिरेकदृष्टान्तेषु गौरेष्वमैत्रतनयेषु सर्वत्र यत्र यत्र श्यामत्वं नास्ति तत्र तत्र मैत्रतनयत्वं नास्तीति व्यतिरेकव्याप्तेश्व सम्भवानिश्चितसाधने गर्भस्थमैत्रतनये पक्षे साध्यभूतश्यामत्वसन्देहस्य गुणत्वात्सम्यगनुमान प्रसज्येतेति चेन्न । (शङ्का) मैत्रका गर्भस्थ पुत्र श्याम है; क्योंकि वह भी मैत्रके वर्तमान पुत्रोंकी तरह मैत्रका ही पुत्र है । इत्यादि अनुमानके प्रयोगमें अन्वयदृष्टान्तरूप पांचो मैत्रपुत्रोंमें जहां जहां मैत्रपुत्रत्व है वहां वहां श्यामत्व है इस प्रकार अन्वयव्याप्तिका निश्चय है। व्यतिरेकदृष्टान्तभूत गौर पुत्रोंमें जो कि मैत्रके पुत्र नहीं है, उन सभीमें जहां जहां श्यामत्व नहीं है वहां मैत्रपुत्रत्व भी नहीं है इस प्रकार व्यतिरेकव्याप्तिका भी सम्भव है । इसलिये गर्भस्थ मैत्रपुत्ररूप पक्षमें साधनका निश्चय है परन्तु साध्यभूत श्यामत्वका सन्देह है, इस लिये यह सत्य प्रसंग होनेके कारण समीचीन अनुमान होजायगा । (समाधान) यह ठीक नहीं है क्योंकिः- दृष्टान्तस्य विचारान्तरबाधितखात् । तथा हि, साध्यत्वेनाभिमतमिदं हि श्यामरूपं कार्य सत् स्वसिद्धये कारणमवेक्षते ।
SR No.022438
Book TitleNyaya Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBansidhar Shastri
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year1913
Total Pages146
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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