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नाइ । ये हेतु अपर पाल्लाय निम्नता देखा यायना । इ स्थले नामानुलब्धिरूप अविरद्धसहचरनुपलब्धि हइते उन्नामा - भावरूप सहचरानुपलब्धिरूप साध्येर सिद्धि करा हइया छे ॥ ८५ ॥ विधिरूप साध्यको सिद्ध करनवाला विरुद्धानुपब्धिके भेदये विधिरूपसाध्येर सिद्धि कर सेइ विरुद्धानुपलब्धिर भेद-विरुद्धानुपलब्धिर्विधौ त्रेधा विरूद्ध कार्यकारणस्वभावानु पलब्धिभेदात् ॥ ८६ ॥
हिंदी -- विधिरूप साध्यके रहने पर विरुद्धानुपलब्धिके तीन भेद है -विरुद्ध कार्यानुपलब्धि, विरुद्धकारणत्रुपलब्धि और विरुद्धस्वभावानुपलब्धि ॥ ८६ ॥
बंगला – विधिरूप साध्य थाकिले विरुद्धानुपलब्धिर तिन भेद हय-- यथा विरुद्ध कार्यानुपलब्धि, विरुद्धकारणानुपलब्धि एवं विरुद्धस्वभावानुपलब्धि ॥ ८६ ॥ विरुद्ध कार्यानुपलब्धिका उदाहरण-
विरुद्धकार्यानुपलब्धिर उदाहरण ---
यथाऽस्मिन् प्राणिनि व्याधिविशेषोऽस्ति निरामयचेशनुपलब्धे ॥८७॥
हिंदी ---- जैसे- इस प्राणीमें कोई रोग विशेष है क्योंकि इसकी चेष्टा नीरोग मालूम नहिं पड़ता। यहां पर व्याधि विशेष से विरुद्ध पदार्थका कार्य निरामय चेष्टा है इसलिये निरामय चेष्टा के अभावसे व्याधिविशेषका अनुमान करलिया जाता है ॥८७॥