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प्रासंगिक
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प्रमाण -नय-तत्त्वालोक, न्यायशास्त्र का प्रवेश - ग्रन्थ है । इसे विधिवत् अध्ययन करने के पश्चात् ही न्यायशास्त्र में आगे कदम बढ़ाया जा सकता है । यही कारण है कि प्रायः सभी श्वेताम्बरीय परीक्षालयों के पाठ्यक्रमों में यह नियुक्त किया गया है ।
इस प्रकार पर्याप्त पठन-पाठन होने पर भी अब तक हिन्दी भाषा में इसका अनुवाद नहीं हुआ था । इससे छात्रों को तथा अन्य न्यायशास्त्र के जिज्ञासुओं को बड़ी अड़चन पड़ती थी । यही अड़चन दूर करने के लिए यह प्रयास किया गया है । अनुवाद में सरलता और संक्षेप का ध्यान रक्खा गया है । इसके अतिरिक्त इस ग्रन्थ को पढ़ने वाले विद्यार्थियों के सामने रखकर उनसे 'पास' करा लिया गया है ।
न्यायशास्त्र के प्रारम्भिक अभ्यासियों को इससे बहुत कुछ सहायता मिलेगी, ऐसी आशा है । विद्वान् अध्यापकों से यह अनुरोध है कि वे इसकी त्रुटियाँ दिखलाने की कृपा करें, ताकि आगामी संस्करण अधिक उपयोगी और विशुद्ध हो सके ।
- शोभाचन्द्र भारिल्ल