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________________ उत्पाद व्यय ध्रुव स्व० की पर्याय है. और परिणति द्रव्य का स्वधर्म है. और स्वकालरूप वस्तु का परिणाम भेद वही स्वरुप काल है. अगर काल को भिन्न द्रव्य मानते है तो भी काल है वह कारणरुप है और अनीत, अनागत वर्तमानरुप परिणति है वह जीवादि द्रव्य का धर्म है. इस वास्ते यह उत्पाद व्ययभी स्वाभाविक है। । तथा च सिद्धात्मानि केवलज्ञानस्य यथार्थ ज्ञेयनायकत्वात् यथा ज्ञेया धर्मादि पदार्थाः तथा घटपटादिरूपा वा परिणमन्ति तथैव ज्ञाने भासनाद् यस्मिन् समये घटस्य प्रतिभासा समयान्तरे घटध्वंसे कपालादि प्रति भासः तदा ज्ञाने घटा प्रतिभासध्वंसः कपाल प्रति भासस्योत्पादः ज्ञानरुपत्वेन ध्रुवत्वमिति तथा धर्मास्तिकाये यस्मिन् समये संख्येयपरमाणुनां चलनसहकारिता अन्य समये असंख्येयानां एवं संख्येयत्वसह कारिताव्ययः असंख्येयानन्तसहकारिता उत्पादः चलन सह, कारित्वे धुवत्वं एवम धर्मादिष्वपि ज्ञेयं एवं सर्वगुणपत्तिषु इति चतुर्थः॥ . अर्थ-सिद्धात्मा में केवलज्ञान गुण सम्पूर्णरुप से प्रगट है. वे जिस समय जो शेय जिस भावसे परिणत होता है । उसी समय यथा रुप से जानते है. जैसे धर्मादि द्रव्य तथा घटपटादि शेयपदार्थ जिस प्रकार से प्रणमन करते है उसीरुप में केवलज्ञान जानता है. जिस समय घट ज्ञान था वह समयान्तर घट ध्वंस होनेपर कपालज्ञान हुवा उस समय घट प्रतिभास का ध्वंस, कपाल
SR No.022425
Book TitleNaychakra Sara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghraj Munot
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpmala
Publication Year1930
Total Pages164
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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