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________________ १५ ९६ १७ १८ १६ श्री ज्ञानवृद्धि जैन विद्यालय श्री महावीर मित्र मण्डल श्री ज्ञानोदय जैन पाठशाला श्री जैन मित्रमण्डल wo १६८१ १६८१ १९८१ १६८१ १९८२ १६८२ १९८२ १९८३ १६८३ १६८३ १९८३ १९८४ सायरा (मेवाड ) १९८४ सादड़ी १९८४ लुणावा १९८५ कितने लोग यह कह बैठते है कि हम एकेले क्या कर सके ? पर देखिये इन एकेले महात्माने मारवाड़ जैसी भूमि में विहार कर अनेक वादियों कीटकर खाते हुए भी कितना काम किया है अगर ऐसे पांच दश साधु कम्मर कस मारवाड़ मेवाड़ मालवा ढूंढाड़ वगैरह प्रदेशो में विहार कर जैन समाज को जागृत करनी चाहे तो शासन का कितना काम कर सके ? उन के लिये यह एक उदाहरण है । प्रार्थना यह है कि आप श्रीमान चिरकाल तक विहार कर शासन की सेवा कर हमारे जैसे जीवों पर उपकार करते रहै । श्री रत्नोदय ज्ञान पुस्तकालय श्री जैन पाठशाला १६ २० २१ श्री ज्ञानप्रकाश मित्र मण्डल २२ श्री जैन मित्रमण्डल २३ श्री ज्ञानोदय जैन लायब्रेरी २४ श्री जैन श्वेताम्बर सभा २५ श्री जैन लायब्रेरी २६ २७ २८ २६ श्री जैन श्वेतम्बर मित्रमण्डल श्री जैन श्वेताम्बर ज्ञान लायब्रेरी श्री जैन कन्याशाळा श्री जैन कन्याशाळा कुचेरा "2 खजवाणा पूर्वोक्त पुस्तके मिलने का पत्ता: "" पीसांगण बीलाड़ "" पीपाड़ "" "" वीसलपुर खारिया श्री रत्नप्रभाकर ज्ञान पुष्पमाला मु० फलोदी ( मारवाड़ ).
SR No.022425
Book TitleNaychakra Sara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghraj Munot
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpmala
Publication Year1930
Total Pages164
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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