SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्ट-२ पुरुषार्थसिद्धय पायकी टोका और टिप्पणीमें उद्धत गाथानों, श्लोकों, सूत्रों और दोहोंकी वर्णानुक्रमणिका । पृष्ठांक | पृष्ठांक जइ जिणमयं पवज्जह जौवितमरणाशंसा-उमास्वामि ८४ पं० पाशाधरकृत अनगारधर्मामृत-टीका ७ अतिक्रमो मानसशुद्धहानि ७६ | दत्त दयेऽर्थनिचये-सोमदेवसूरि अद्य दिवा रजनी वा-स्वामिसमंतभद्र- | दर्शनाच्चरणाद्वापि-स्वामिसमंतभद्र अनशनावमौदर्य-उमास्वामि ८५ प्रप्पाणं पि चवंतं-स्वमिकार्तिकेय | परमपुरुष निज अर्थको-पं० टोडरमल अप्रत्यवेक्षिताप्रमाजितो-उमास्वामि परविवाहकरणेत्वरिका-उमास्वामि अह णीरोमो देहो तो-स्वामिकार्तिकेय पुत्तो वि भानो जाओ-स्वामिकार्तिकेय अज्ञानतिमिरव्याप्ति-स्वामिसमंतभद्र पुश्चलीवेश्यादासीनां गमनेप्रा स्वामिकार्तिकेयानुप्रेक्षाटीका ८१ प्रानयनप्रेष्यप्रयोगशब्द प्रायश्चित्तविनय-उमास्वामि ८३ १८ इदमेवेदशमेव-स्वामिसमंतभद्र ईर्याभाषेषणा उमास्वामि न च परदारान् गच्छति-स्वामिसमंतभद्र नियमो यमश्च विहितौ-स्वामिसमंतभद्र निशा षोडश नारीणांनिहितं वा पतितं वा-स्वामिसमंतभद्र उत्तमक्षमामार्दवार्जव-उमास्वामि ऊवधिस्तिर्यग्व्यतिक्रम-उमास्वामि बन्धवधच्छेदाति-उमास्वामि कन्दर्पकौत्कुत्च-उमास्वामि कर्मपरवशे सान्ते-स्वामिसमंतभद्र कस्सवि ण त्थि कलत्त-स्वामिकार्तिकेय कस्य वि दुटु कलत्त-स्वामिकार्तिकेय कापथे पथिदुःखाना-स्वामिसमंतभद्र कौऊ नयनिश्चयसे-पं० टोडरमल भूपयः पवनाग्नीनां-सोमदेवसूरि भोजनवाहमशयन....स्वामिसमंतभद्र भोजने षट्रसे पाने ६० मधुशकलमपि प्रायो मण-वयण कायजोया-स्वामिकात्तिकेय मिथ्योपदेशरहोभ्याख्यान-उमास्वामि १ । मैं नमो नगन जैन जिन -पं० टोडरमल ८० गुरु उर भाषे आप पर-पं० टोडरमल
SR No.022412
Book TitlePurusharth Siddhyupay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year1977
Total Pages140
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy