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का निवास स्थान मोक्ष है । इस विषय में इतना और ध्यान रखना चाहिये कि भुक्त आत्माओं की यह स्थिति व्यवहारनय से विवक्षित है, निश्चयनय क्या मानता है यह बात आगे बतलाई जावेगी।
पृथ्वी के नीचे क्रमशः ७ नरक हैं, सब से नीचे निगोद है। निगोद जीवों की मौलिक अथवा प्रारम्भिक अवस्था का भंडार है। पृथ्वी पर भी निगोद राशि के जीव दिखाई पड़ते हैं । वे बहुत सूक्ष्म और दृष्टि अगोचर हैं, उनकी उत्पत्ति का परिणाम दूध स दही का बनना, मद्य से खमीर, आचार मुरब्बों की स्थिति, मांस तथा शाकादि का सड़ना है। उनको आधुनिक विज्ञान में Bacteria की समानता दी जा सकती है।
___ पृथ्वी और नरकों के बीच में भवन वामी और व्यंतर जाति के देव निवास करते हैं।
पृथ्वी चौरस और गोल है और उसमें कुछ महाद्वीप हैं जिनके बीच जम्बू द्वीप गोल आकृति वाला है, उसके चारों ओर अनेक समुद्र और द्वीप हैं। जम्बू द्वीप के मध्य सुमेरु पर्वत पर देवता निवास करते हैं। जम्बू द्वीप में अनेक क्षेत्र हैं। जिसका भरत क्षेत्र नाम का भाग यह भारतवर्ष है। जम्बू द्वीप के अन्य क्षेत्रों में विद्याधर निवास करते हैं, उनको वायुगामिनी विद्या सिद्ध होती है उनका गमन आकाश में है, इसलिए उनको खेचर भी कहा जाता है। अन्य द्वीपों में नीच जाति के जीवों का आवास है जो कुरूप और बेडौल हैं।
सूर्य तथा तारागण वास्तव में मेरु की प्रदक्षिणा देते हैं, उनकी प्रतीति एक भ्रम है कुछ प्राय द्वीपों में सूर्य और चन्द्रमा की संख्या दो २ हैं, कुछ में ४-४ हैं। उत्तरी ध्रुव प्रदेश के किनारे आस पास या उससे कुछ डिग्री नीचे खड़े हुए मनुष्य को जो दृश्य दिखलाई देता है, उससे वह भी ऐसा ही नतीजा निकालता है।
स्वर्गों के निवासियों की देवसंज्ञा है । अहेन्त और सिद्धों की भी देव सज्ञा है। स्वर्ग निवासी देव अर्हन्त और सिद्धों के समान पूजनीक नहीं हैं, वे अपने जीवन की निश्चित अवधि के बाद पुन: मनुष्य गति में जन्म लेते हैं, उनमें मनुष्यों को अपेक्षा अधिक इंद्रिय, ज्ञान और आनन्द का क्षेत्र अधिक विस्तीर्ण होता है। किन्तु वे यत्न करने पर भी मुक्ति पाने के अधिकारी नहीं हैं, जो मुक्तिधाम आनन्द का सब से श्रेष्ठ रूप है और जिसकी प्राप्ति केवल मनुष्य पर्याय से ही हो सकती है।
नारकी जीव भी नरक आयु पूर्ण करने पर पुन: जन्म लेते हैं, यद्यपि उन्हें भयानक यंत्रणाएं सहन करनी पड़ती हैं। उनका स्थान वनस्पति और पशुओं से ऊंचा है और कुछ नाकियों का तो साधारण मनुष्यों से भी। नारकी मनुष्य पर्याय प्राप्त कर सकते हैं और देवों की भाँति मनुष्य पर्याय पाकर मुक्ति लाभ भी