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रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम् आगें व्यपदेश, संस्थान, संख्या, विषय, इन चार भेदोंसे सर्वथा प्रकार द्रव्य और गुणमें भेद दिखाते हैं।
ववदेसा संठाणा संखा विसया य होति ते बहुगा। ते तेसिमणण्णत्ते अण्णत्ते चावि विज्झते ॥ ४६ ॥
संस्कृतछाया. व्यपदेशाः संस्थानानि संख्या विषयाश्च भवन्ति ते बहुकाः ।
ते तेषामनन्यत्वे अन्यत्वे चापि विद्यन्ते ॥ ४६ ॥ पदार्थ-तेषां] उनद्रव्य और गुणोंके [ते] जिनसे गुणगुणीमें भेद होता है वे [व्यपदेशाः] कथनके भेद और [ संस्थानानि] आकारभेद [संख्या] गणना [च]
और [विषयाः] जिनमें रहै ऐसे आधार भाव ये चार प्रकारके भेद [बहुकाः] बहुत प्रकारके [भवन्ति] होते हैं, और [ते] वे व्यपदेशादिक चार प्रकारके भेद [अनन्यवे] कथंचित्प्रकार अभेदभावमें [च ] और [अन्यत्वे] कथंचित्प्रकार भेद भावमें [ अपि] भी [विद्यन्ते] प्रवते हैं।
भावार्थये चार प्रकारके व्यपदेशादिक भाव अभेदमें भी हैं और भेदमें भी हैं । इनकी दो प्रकारकी विवक्षा है. जब एक द्रव्यकी अपेक्षा कथन किया जाय तब तो ये चार भाव अभेदकथनकी अपेक्षा कहे जाते हैं और जब अनेक द्रव्यकी अपेक्षा कथन किया जाय तब ये ही व्यपदेशादिक चार भाव भेदकथनकी अपेक्षा कहे जाते हैं । आगें ये ही दोनों भेद दृष्टान्तसे दिखाये जाते हैं । जैसें किसही पुरुषकी गाय कहना, यह भेदमें व्यपदेश है. तैसे ही वृक्षकी शाखा, द्रव्यके गुण, यह अभेदमें व्यपदेश जानना । और यह व्यपदेश षट्कारककी अपेक्षा भी है. सो दिखाया जाता है । जैसें कोई पुरुष फलको अंकुसीकर धनवन्तपुरुषके निमित्त वृक्षसे बाड़ीमें तोडै है. यह भेदमें व्यपदेश है। और मृत्तिका जैसें अपने घटभावको आपकर अपने निमित्त आपसे आपमें करै है, तैसें ही आत्मा आपको अपनेद्वारा अपने निमित्त आत्मासे आपमें जाने है. सो यह अभेदमें व्यपदेश जानना । और जैसे बडे पुरुषकी गाय बडी है, यह भेद संस्थान है तैसे ही बडे वृक्षकी बडी शाखा, मूर्तीक द्रव्यके मूर्तीक गुण यह अभेद संस्थान जानना । और जैसे किसी पुरुषकी दशगौवें हैं. ऐसे कहना सो भेदसंख्या है. तैसें ही एक वृक्षकी दशशाखायें, एक द्रव्यके अनंतगुण, यह अभेद संख्या जाननी । और जैसे गोकुलमें गाय है, ऐसा कहना यह भेद विषय है तैसें ही वृक्षमें शाखाद्रव्यमें गुण यह अभेद विषय है । व्यपदेश संस्थान संख्या विषय ये चार प्रकारके भेद द्रव्यगुणमें अभेदरूप दिखाये जाते हैं, अन्यद्रव्यसे भेदकर दिखाये जाते हैं । यद्यपि द्रव्यगुणमें व्यपदेशादिक कहे जाते हैं तथापि वस्तुके विचारसे नहीं हैं।