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ग्रन्थ में मुझे अनेक प्रकार की सहायता दी है इससे मैं आप का ऋणी हूँ, आप आर्ष जैनग्रन्थों के संशोधन में सतत प्रयत्न कर रहे हैं और आपकी कृपा से यशोविजय जी जैन ग्रन्थमाला के दश बारह ग्रन्थ पाठशाला की ओरसे छपकर प्रकाशित भी हो चुके हैं और कई ग्रन्थों का कार्य शुरू है इससे आप समग्र जैन समाज के कोटिशः धन्यवाद के पात्र हैं !
पाठक महाशय ! अब यह लेख बढ़ गया है इससे मेरे उपकारी शानदाता गुरुवर्य श्रीमान् केवलचंद्र जी गणी महाराज के स्मरण पूर्वक यह लेख यहां ही पूर्ण करता हूँ ।
ग्रन्थकर्त्ता