SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 520
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अधिकारः ९] समयसारः। ५०७ १३ न करिष्यामि न कारयिष्यामि मनसा च कायेन चेति १४ न करिष्यामि न कुर्वंतमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि मनसा च कायेन चेति १५ न करिष्यामि न कुर्वतमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि मनसा च कायेन चेति १६ न करिष्यामि न कारयिष्यामि वाचा च कायेन चेति १७ न करिष्यामि न कुर्वतमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि मनसा च कायेन चेति १८ न कारयिष्यामि न कुर्वतमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि वाचा च कायेन चेति १९ न करिप्यामि न कारयिष्यामि मनसा चेति २० न करिष्यामि न कुर्वतमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि नाहं चक्षुर्दर्शनावरणीयफलं भुंजे । तर्हि किं करोमि ? शुद्धचैतन्यस्वभावमात्मानमेव संचेतये । वचनकर । ऐसा तेरवां भंग है । इसमें कारित अनुमोदना इन दोनोंपर मन वचन ल. गाये तब बाईसकी समस्या हुई । १३ । २२ । आगामी कर्मको मैं नहीं करूंगा, अ. न्यको प्रेर कर नहीं कराऊंगा मनकर कायकर । ऐसा चौदवां भंग है । इसमें कृतकारित इन दोनोंपर मन और काय ये दो लगाये । इसलिये बाईसकी समस्या हुई । १४ । २२ । आगामी कर्मको मैं नहीं करूंगा, अन्य करते हुएको भला नहीं जानूंगा मनकर कायकर । ऐसा पंद्रहवां भंग है । इसमें कृत अनुमोदना इन दोनोंपर मन काय ये दो लगाये इसलिये बाईसकी समस्या हुई। १५ । २२ । आगामी कर्मको मैं अ. न्यको प्रेरकर नहीं कराऊंगा, अन्य करते हुएको भला नहीं जानूंगा मनकर कायकर । ऐसा सोलवां भंग है । इसमें कारित अनुमोदना इन दोनोंपर मनकाय ये दो लगाये इसलिये बाईसकी समस्या हुई । १६ । २२ । आगामी कर्मको मैं नहीं करूंगा, अस्यको प्रेरकर नहीं कराऊंगा वचनकर कायकर । ऐसा सत्रहवां भंग है। इसमें कृत. कारित इन दोनोंपर वचनकाय लगाये इसलिये बाईसकी समस्या हुई। १७ । २२ । आगामी कर्मको मैं अन्यको प्रेरकर नहीं कराऊंगा, अन्य करते हुएको भला नहीं जानूंगा वचनकर कायकर । ऐसा अठारवां भंग हुआ। इसमें कृत अनुमोदना इन दो. नोंपर वचन काय लगाये इसलिये बाईसकी समस्या हुई । १८ । २२ । आगामी कमको मैं अन्यको प्रेरकर नहीं कराऊंगा, अन्य करते हुएको भला भी नहीं जानूंगा वचनकर कायकर । ऐसा उनईसक भंग हुआ। इसमें कारित अनुमोदना इन दोनोंपर वचनकाय ये दो लगाये इसलिये बाईसकी समस्या हुई । १९ । २२ । ऐसे बाईसकी समस्याके नौ भंग हुए ॥ आगामी कर्मको मैं नहीं करूंगा, अन्यको प्रेरकर नहीं कराऊंगा मनकर । ऐसा वीसवां भंग है । इसमें कृतकारित इन दोनोंपर एक मन लगा इसलिये इकईसकी समस्या हुई । २० । २१ । आगामी कर्मको मैं नहीं करूंगा, अन्य करते हुएको भला नहीं जानूंगा मनकर । ऐसा इकईसवां भंग है । इसमें कृत अनुमोदना इन दोनोंपर एक मन लगाया इसलिये इकईसकी समस्या हुई । २१ । २१ । आ
SR No.022398
Book Titlesamaysar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharlal Shastri
PublisherJain Granth Uddhar Karyalay
Publication Year1919
Total Pages590
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy