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________________ अधिकारः ४] समयसारः। . २४७ स्पृशन् । उच्छिंदन् परिवृत्तिमेव सकलां ज्ञानस्य पूर्णोभवन्नात्मा नित्यनिरास्रवो भवति हि ज्ञानी यदा स्यात्तदा ॥ "सर्वस्यामेव जीवंत्यां द्रव्यप्रत्ययसंततौ । कुतो निरास्रवो ज्ञानी नित्यमेवेति चेन्मतिः ॥ १२३ ॥” १७२ ॥ सव्वे पुव्वणिबद्धा दु पच्चया संति सम्मदिहिस्स। उवओगप्पाओगं बंधते कम्मभावेण ॥ १७३ ॥ संती दुणिरुबभोजा बाला इच्छी जहेव पुरुसस्स। वंधदि ते उवभोजे तरुणी इच्छी जह णरस्स ॥ १७४ ॥ होदूण णिरवभोज्जा तह बंधदि जह हवंति उवभोज्जा । सत्तहविहा भूदा णाणावरणादिभावेहिं ॥ १७५॥ एदेण कारणेण दु सम्मादिट्ठी अबंधगो होदि । आसवभावाभावे ण पच्चया बंधगा भणिदा ॥ १७६ ॥ चतुष्कं सर्वे पूर्वनिबद्धास्तु प्रत्ययाः संति सम्यग्दृष्टेः । उपयोगप्रायोग्य बन्नति कर्मभावेन ॥ १७३॥ संति तु निरुपभोग्यानि बाला स्त्री यथेह पुरुषस्य । बध्नाति तानि उपभोग्यानि तरुणी स्त्री यथा नरस्य ॥ १७४ ॥ भूत्वा निरुपभोग्यानि तथा बध्नाति यथा भवंत्युपभोग्यानि । सप्ताष्टविधानि भूतानि ज्ञानावरणादिभावैः ॥ १७५ ॥ एतेन कारणेन तु सम्यग्दृष्टिरबंधको भणितः । आस्रवभावाभावे न प्रत्यया बंधका भणिताः ॥ १७६ ॥ नुचरितश्च भवतीति भावार्थः । एवं ज्ञानिनो भावास्रवस्वरूपनिषेधमुख्यत्वेन गाथात्रयं गतं ॥ १७२ ॥ अथ द्रव्यप्रत्ययेषु विद्यमानेषु कथं ज्ञानी निरास्रवः ? इति चेत् ;-सव्वे पुहै तथा ज्ञानके समस्त पलटनेको दूर करताहुआ ज्ञानको स्वरूपमें ठहराता पूर्णहुआ प्रवर्तता है । ऐसे ज्ञानी जब होवे तब शाश्वता निरास्रव होता है ॥ भावार्थ-जब सब रागको हेय जाना तब उसके मैंटनेका ही उद्यम प्रवर्तता है तब सदा निरास्रव ही कहना चाहिये, क्योंकि इसके आस्रवभावोंकी भावनाके अभिप्रायका अभाव है । यहां बुद्धिपूर्वक अबुद्धिपूर्वककी दो सूचनायें हैं। एक तो वह कि आप तो करना नहीं चाहता और परनिमित्तसे जबरदस्तीसे हो, उसको आप जानता है तो भी उसको बुद्धिपूर्वक कहना चाहिये । और दूसरा वह कि अपने ज्ञानगोचर ही नहीं प्रत्यक्ष ज्ञानी जिसे जानते हैं तथा उसके अविनाभावी चिन्हकर अनुमानसे जानिये उसे अबुद्धिपूर्वक जानना ॥१७२॥ आगे पूछते हैं कि सभी द्रव्यास्रवकी संततिको जीनेसे ज्ञानी निरास्रव किसतरह है ?
SR No.022398
Book Titlesamaysar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharlal Shastri
PublisherJain Granth Uddhar Karyalay
Publication Year1919
Total Pages590
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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