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क्रमांक
विषय
पृष्ठांक
२०
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१३७
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श्रुतज्ञान का निरूपण पारमार्थिक प्रत्यक्ष के तीन भेद
१२३ अवधिज्ञान का स्वरूप
१२३ मनः पयर्वज्ञान का स्वरूप
१२८ केवलज्ञान का निरूपण
१३२ केवली के कवलाहार की सिद्धि परोक्ष प्रमाण के मेद
१४३ स्मरण का स्वरूप
१४३ प्रत्यमिज्ञान का निरूपण
१५३ तर्क का "
१८५ अनुमान प्रमाण का"
२१५ स्वार्थानुमान का स्वरूप हेतु का विलक्षण " साध्य का "
२३७ धर्मी की प्रसिद्धि का निरूपण
२४९ प्रमाण प्रसिद्ध आदि धर्मियों का निरूपण २५० परार्थ अनुमान का स्वरूप ... . २७७ 'प्रतिवादो के द्वारा मागम से स्वीकृत अर्थ का २८५ हेतु रूप में कथन परार्थानुमान है। इसका खंडन ..
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