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कालमें इन्द्र पर्याय का अनुभव करेगा वह इन्द्र है। जिस घट में घृत भूत काल में रक्खा गया था अथवा भावा काल में जिसमें घृत रक्खा जायगा उसमें जिस प्रकार घृतघट का व्यवहार होता है इस प्रकार उस पूर्वोक्त मनुष्य में इन्द्र शब्द का व्यवहार हो सकता है।
विवेचना-जिस में कभी घी को रक्खा गया था अथवा जिस में घी रक्खा जायगा उस घट को वर्तमान काल में घृत के साथ संबंध न होने पर भी लोग घृतका घट कह देते हैं । घृत का आधार होना पर्याय है, यह पर्याय घट के बिना नहीं हो सकता, इस लिए घट इस पर्याय का कारण है । कारण होने से यहाँ पर घट द्रव्य कहा गया है । कारण होने पर भी उसका व्यवहार पर्याय के द्वारा होता है । संयोग संबंध से घट में घी रहता है। आधार होने के कारण घृतघट कहा जाता है । घृत घट कहलाने में घृतका आधार होना निमित्त है । जो मनुष्य अभी मनुष्य है वह यदि कभी अर्थात् पूर्व भव में इन्द्र बन चुका हो अथवा आगामो काल में अर्थात् आगामी भव में इन्द्र बन जानेवाला हो तो उसको इस रीतिसे इन्द्र कहा जा सकता है। ___ ध्यान रहे, पर्याय अनेक प्रकार के होते हैं। मिट्टी के पिंड का घट के आकार में परिणाम पर्याय है । इस परिणाम का कारण होनेसे मिट्टो द्रव्य घट है। मिट्टो घट का कारण होने से द्रव्य घट है और घट घृतका आधार होनेसे घृतघट है । इन दोनों द्रव्य निक्षेपों में कारण का कारणभाव समान नहीं है ।