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________________ परमपूज्य व्याख्यान वाचस्पति महाराष्ट्र देशोद्धारक आचार्यदेव श्रीमद्विजय रामचंद्रसूरीश्वरजी महाराज का असीम अनुग्रह न होता तो इस ग्रथ के प्रकाशन करने का सौभाग्य हमको नहीं प्राप्त हो सकता था। यह सब पूज्यपाद आचार्यदेव की परम कृपा का ही फल है अतः हम उनके पावन चरणों में अनंतशः वन्दना करते हैं। यत्न करने पर भी मुद्रण में कुछ अशुद्धियां रह गई हैं उनके लिये शुद्धिपत्र दिया गया हैं । पाठक उसके अनुसार शुद्ध करके वाचन करें, यह नम्र प्रार्थना है। ___ इस हिन्दी टीका का गुजराती भाषा में अनुवाद कराके प्रकाशित करने की हमारी इच्छा है । जो लोग गुजराती अनुवाद प्रकाशित करने में आर्थिक सहकार देकर लाभ उठाना चाहते हों उनसे संपर्क करने के लिये नम्र अनुरोध किया जाता है। पिंडवाडा (राजस्थान) ज्ञानोदय प्रिंटिंग प्रेस और देवास (म० प्र०) रत्ना प्रिंटिंग प्रेस के व्यवस्थापकों ने बडे यत्न के साथ ग्रंथ का मुद्रण किया है इस लिये उनके भी हम आभारी हैं पुस्तक का बन्धन (बाइन्डींग) अहमदाबाद निवासी विक्रमकुमार अमृतलाल दलाल ने अत्यंत ध्यान से कराया है। अतः वे भी धन्यवाद के पात्र हैं । ६१ कृष्णगली, स्वदेशी मार्केट बम्बई-२ श्री संघ के सेवक५२/५४ मीन्टरोड अरविंद मणीलाल पारेख तीसरा तल कोट बम्बई-१ गिरीशचंद्र हरकीशनदास वि. सं. २०३१ वै. कृ. ११ भणशालो गुरुवार दिनांक ५.६-७५
SR No.022395
Book TitleJain Tark Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIshwarchandra Sharma, Ratnabhushanvijay, Hembhushanvijay
PublisherGirish H Bhansali
Publication Year
Total Pages598
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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