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________________ ~ पञ्चाध्यायी। [ दूसरी अबुद्धि पूर्वक दुःख अवाच्य नहीं हैनाऽवाच्यता यथोक्तस्य दुःखजातस्य साधनं । ,. अर्थादबुद्धिमात्रस्य हेतोरौदयिकत्वतः ॥ ३२० । ...... अर्थ-ऊपर जो अबुद्धिसे होने वाला दुःखसमूह बतलाया गया है, उसके सिद्ध करनेमें अवाच्यता नहीं है अर्थात् ऐसा नहीं है कि वह किसी प्रकार कहा ही न जासके । अबुद्धिपूर्वक दुःखका हेतु कर्मोंका उदय होना ही है । कर्मोंका उदय ही बतलाता है कि इस आत्मामें दुःख है। . शङ्काकारतद्यथा कश्चिदत्राह नास्ति बद्धस्य तत्सुखम् । यत्सुखं स्वात्मनस्तत्त्वं मूर्छितं कर्मभिर्वलात् ॥ ३२१॥ अस्त्यनिष्टार्थसंयोगाच्छारीरं दुःखमात्मनः।। ऐन्द्रियं बुद्धिज नाम प्रसिद्ध जगति स्फुटम् ॥ ३२२ ॥ मनोदेहेन्द्रियादिभ्यः पृथग् दुःखं न बुद्धिजम् । यद्ग्राहकप्रमाणस्य शून्यत्वाद् व्योमपुष्यवत् ॥ ३२३ ॥ साध्ये वाऽवुद्धिजे दुःखे साधनं तत्सुखक्षतिः। हेत्वाभासः स व्याप्यत्वासिडी व्याप्तेरसंभवात् ॥ ३२४ ॥ अर्थ-कोई शङ्काकार कहता है कि जो सुख आत्मीक तत्त्व है वह सुख कर्मसे बंधे हुए आत्मामें नहीं है। कर्मोंने बलपूर्वक उसे मूछित किया है और अनिष्ट पदार्थोंका संयोग होनेसे आत्माको शारीरिक दुःख होता है । तथा इन्द्रियजन्य भी दुःख होता है । बस शारीरिक और ऐन्द्रियिक ये ही बुद्धिपूर्वक दुःख जगतमें प्रसिद्ध हैं। मन, देह, इन्द्रिय इनसे भिन्न और कोई बुद्धिपूर्वक दुःख नहीं है । इस विषयमें कोई प्रमाण नहीं है कि और भी दुःख है। जैसे आकाशके पुष्प नहीं है वैसे ही अन्य दु:ख नहीं हैं। आपने जो अबुद्धिपूर्वक दुःख सिद्ध करनेके लिये सुखाभाव हेतु दिया है, वह यथार्थ हेतु नहीं है किन्तु हेत्वाभास है। (हेत्वाभास झूठे हेतुको कहते है जो साध्यको सिद्ध नहीं कर सकै ) यहां पर व्याप्यत्वासिद्ध नामका हेत्वाभास है। क्योंकि सुखाभावकी अबुद्धिपूर्वक दुःखके साथ व्याप्ति नहीं है। साध्य साधनमें व्याप्य व्यापक हुआ करता है । जिस हेतुमें साध्यकी व्याप्यता न होवै उसीका नाम व्याप्यत्वासिद्ध है। ऐसा हेतु साध्यको सिद्ध नहीं कर सक्ता है ? उत्तरनैवं यत्तद्विपक्षस्य व्याप्तिदुःखस्य साधने । कर्मणस्तद्विपक्षत्वं सिद्ध न्यायात्कुतोन्यथा ॥ ३२५ ॥ ..
SR No.022393
Book TitlePanchadhyayi Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherGranthprakash Karyalay
Publication Year1918
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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