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________________ प्रमाणवचनम् न खलु प्रत्यभिज्ञा न चक्षुषा सन्मा न च विज्ञानमा न चावस्था न चान्वयविनिर्मुक्ता दु चै ननु कथं सर्व ननु नैव विना ननु पूर्व ननु विशेषाि न पयसः परि पूर्वं न च न पूर्वोत्तर न बाधो यत्न न भवेत्प्रत्यभि नभश्श्रोत्रं च न यतस्तै न वायुक्रिये न विनाशीति विलक्षणत्वात् न व्यवस्थानुपपत्तेः "" न षष्ठमिन्द्रियं न सन्नुत्पद्य सप्तैवेन्द्रियाणि न न संख्या भास न सर्वलोक 664 पुटम् प्रमाणवचनम् न स्वतो नापि परतः 319 502 339 290 न संबन्धस्य न हरेत्तैजसं न हि व्यक्तौ विशेषांस्ति न हि शक्तयात्म " " न स्वभावो न विज्ञप्तिः 364 315 320 73 न हि स्वरूपतः 387 नाणोरणौ प्रवेशो 3887 | नान्तर्भावितसत्तं 74 नानावर्याः 287 नानित्यशब्दवा 387 नानोपाध्युप 222 नान्यदृष्ट 47 नान्योऽवयव्य 340 "" 443 नाप्येकैव विधा 565 नाभ्या आसीदन्तरिक्षं 547 नाभावोऽन्यतम 370 नामरूपं च भूतानां 109 नायं घट 280 | नाशक्नुवन् 289 नाशस्य कारकः 60 नासदासन्निोस 417 नास्तिक्यपरि 473 नास्येति चेत् 326 निचाय्यत्वादेवं 450 निजस्तस्या .... पुटैम् 196 329 417 328 476 565 303 209 295 202 424 180 339 48 390 214 243 324 536 162 257 61 180 371 587 29 365 21 343
SR No.022392
Book TitleTattva Muktakalap
Original Sutra AuthorN/A
AuthorD Srinivasachar, S Narasimhachar
PublisherMysore Government Branch
Publication Year1933
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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