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દ્રવ્યાનુયોગપરામર્શ-કર્ણિકા-સુવાસકારની હૃદયોર્મિ
* સંશોધનમાં ઉપયુક્ત હસ્તપ્રતોના અમુક નમૂના
॥ श्री गौतमाय नमः ॥ दान | श्री गुरु जीन विजयमनिवरी। श्रीनयविय सुगु कन्यादरी खातम अरधीने जयकारा करूँ अनुयोग विद्याशा शाविना इव्यचतु योग विचारावरणकरणनो नहीं को मारासंमनि विना धिनंद्र निनो बुधजनमत मोद शाहारादिकननु योगामो दोकदिनु अनुयोग एवयदेशयदा। टिकगंधि सामिलही चा लोनधियो गिंजोना गेरंग। श्रधाकर्मादिक नहीं लंगापंचकल्पलाई इमाम दगुरुग्राम से मिस लिने॥धा बादा किटााबें बाहिर योगा अंतर किया अनुयोग बाह्यदीन पिज्ञान विद्याल लोक दिवस निव प्रदेशमालव्यादिक चिनाईसारा शुकमानय लिल दियाशते मशिद जादगे। सदगुरु विणमननलाफ रो॥ ६ ॥ एहनो जेई पाम्पोना गाउंघई एहनोजे दने रागा एवें दिनची तो नही साधाना मिम मति २६ श्रगाध॥५॥ निकारणिगुरुचरण अधीना समय २३ पियोगइंजीना साजे कि रियाध्यवदाराने
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પ્રત નં.૧ संकेत = डो. (१) मां-१७८४०
ईस्त भूण गाथा (संपूर्ण - २८४ गाथा ) कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, भेजा,
કુલ પૃષ્ઠ – ૧૮ सेजन वर्ष - वि.सं. १८१८ चैत्र सुह-3, રવિવાર
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પ્રત નં.૨ संकेत = डो. (२)
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|| श्री वीनरा गायनमः ॥ चोई श्री गुरुजीन विक्रमनिधरी श्रीनय विगुरु आादरी नम रवीनऊपकार करूं योगविचार १ विनाऽव्य श्रनुयोग विचार चरणकरणोत् ही कोसार समतिथिंना ते तो बु६जनमनमावसुं खुशहारा दिक ननु योग मोटो कहियो व्यअनुयोग एउपदेस यदादिकग्रंधि साहिल ही चा जो श्रुतयं धि३ एजो राइजो लागरंग आधा कर्मादिकनही लग पंचकल्यामि सदगुरुमा सिस्कं मिस एफ
भाप - २७.५”×१२.५”
क्रिया बाहिरयोग अंतर क्रियाऽव्य अनुयोग वा व्हान पनि विशाल न लोक हिमनिक्रपदेशमाल 5व्या दिक चिंताईसार शुध्यगिलहीबार नेमार्टिएह जन्प्रादरू सदगुरु विएम चला फिरो ६एह नोजे एइ पाम्पो सांग जएिहनो जेह निराम एह त्रिवि जोनही साध लामो संमतिंरगा४७ ते कारण गुरुचरणधीन समयय इलियो गिलीन साकंजे किरियाव्यवहार ते हा मोटी प्राधार समनितचारमु स्व ग्रंथ मोटाजेश्वचननिग्रम नेहनीलेशमात्र एल हो परमार गुरुवयोर हो ए ढालग असारा गुरुचरणे मो रामनलियो देसी ॥ गुण पर्याय न गुंजे साजन एकरुपनि कालि
इत भूज गाथा (संपूर्ण- २८४ गाथा) કુલ પૃષ્ઠ - ૧૪ जैसाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, भेजा,
ક્રમાંક-૧૧૨૩૯
भाप - २५' x ११" સ્તંભનતીર્થ