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152 . 'द्रव्य-गु-पर्यायनो रास' तथा 'द्रव्यानुयोग५२।मश' व्यायाम विला होना याही . (१६) भोगशक्ति
२४४२ शुक्लज्ञान उपयोग देखिए उपयोग (चैतन्य) (१७) विक्षेपशक्ति
२५७० | शुक्ल धर्म देखिए धर्म (१८) वीर्यशक्ति
१६८६ | शुक्ल ध्यान देखिए ध्यान (चतुर्विध) (१९) समुचितशक्ति
१४२-१५० शुक्ल ध्यान | देखिए ध्यान (चतुर्थ) (२०) सावयवत्वशक्ति २०६६ | शुक्ल पाक्षिक
___५४,२३९९ (२१) सुखशक्ति १६८५ | शुक्लाभिजात्य
२४७२ शक्ति (शब्दगत) देखिए वृत्ति (वैयाकरणसम्मत) शुद्ध अनुष्ठान देखिए अनुष्ठान शक्ति देखिए वृत्ति (नैयायिकसम्मत) शुद्ध अनुष्ठान साधन
२४२२ शक्तिभेद
१५७,२९८-२९९ शुद्ध-अशुद्धपर्यायसमावेश अनेकांत देखिए अनेकांत शक्यार्थ देखिए अर्थ (दार्शनिक) | शुद्ध आत्मस्वरूप
२३९८-९९ शब्द
शुद्ध उपयोग देखिए उपयोग (चैतन्य) (१) लक्षक
५९८,१९८७ | शुद्ध गुण अर्थपर्याय देखिए पर्याय प्रकार (२) वाचक ५९७
(१) अर्थपर्याय शब्दनय
देखिए नय (नवविध) | शुद्ध गुण व्यंजनपर्याय देखिए पर्याय प्रकार शब्दनय देखिए नय (आपादन प्रकार)
(२) व्यंजनपर्याय शब्दनय देखिए नय (प्रकीर्णक)
शुद्ध तप
देखिए तप शब्दनय लक्षण
लक्षण |शुद्ध द्रव्य अर्थपर्याय देखिए पर्याय प्रकार शब्द ब्रह्म देखिए ब्रह्म
.. (१) अर्थपर्याय शब्दारूढ समभिरूढ देखिए नय (नवविध) शुद्ध द्रव्यदृष्टि देखिए दृष्टि
(८) समभिरूढ नय शुद्ध द्रव्य नैगम देखिए नय (नवविध) नैगम शरीर संलीनता देखिए संलीनता
(विद्यानंदस्वामी - अन्यविध) शांतिदेवमत समीक्षा देखिए समीक्षा |शुद्ध द्रव्य व्यंजनपर्याय नैगम देखिए नय (नवविध) शाब्द बोध देखिए बोध (+ ज्ञान)
नैगम (विद्यानंदस्वामी - अन्यविध) शाब्दी व्यंजना देखिए वृत्ति (आलंकारिकसम्मत) | शुद्ध द्रव्य व्यंजनपर्याय देखिए पर्याय प्रकार (३) व्यंजनाशक्ति
(२) व्यंजनपर्याय शास्त्रबाध देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी) शुद्ध द्रव्यार्थपर्याय नैगम देखिए नय (नवविध) शास्त्र योग देखिए योग (त्रिविध)
नैगम (विद्यानंदस्वामी-अन्यविध) शास्त्रवासना देखिए वासना | शुद्ध द्रव्यार्थिकनय देखिए नय (देवचंद्रजीसम्मत) शास्त्र संज्ञा देखिए संज्ञा
(१) द्रव्यार्थिकनय शिववर्त्म
२३७९ शुद्ध द्रव्यार्थिकमत देखिए नयमत शुक्ल अंतःकरण देखिए चित्त | शुद्ध नय देखिए नय (आपादन प्रकार) शुक्ल ज्ञान देखिए ज्ञान
|शुद्ध नय
देखिए नय (प्रकीर्णक) (उपयोग+बोध) | शुद्धनयमत देखिए नयमत
देखिए