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अतिशय, श्रेष्ट गुण (च) और (अष्टौ प्रातिहार्य लक्ष्म्यः ) आठ प्रतिहार्य लक्ष्मियाँ हैं; (तस्मै) उन (गुण महते) गुणों से महान् देवाधिदेव (भगवते) भगवान (त्रिभवन परमेश्वर अर्हते) तीन लोक के नाथ अर्हन्त परमेष्ठी को (नमः) नमस्कार हो।
I pay my respectful obeisance to shri Arihanta deva; who is the master of forty six riches (goddesses) consisting of thirty four miracles, four infinites and eight splendours. Shri Arihanta deva is the great lord of three universes and is the God of all gods.
क्षेपक श्लोक (Inserted Slokas)
गत्वा क्षितेर्वियति पंचसहस्त्रदण्डान, सोपान-विंशतिसहस्त्र-विराजमाना। रेजे सभा धनद यक्षकृता यदीया, तस्मै नमस्त्रिभुवनप्रभवे जिनाय ।। 1।।
(वियति) आकाश में (क्षितेः) पृथ्वी से (पंचसहस्त्रदण्डान्) पांच हजार धनुष ऊपर (गत्वा) जाकर (सोपान-विंशति सहस्त्र विराजमाना) बीस हजार सीढ़ियाँ सुन्दर हैं; ऐसी (यदीया) जिनकी (सभी) समवशरण सभा (धनद यक्षकृता) कुबेर रचित हैं; उस सभा में (रजे) शोभायमान (तस्मै) उन (त्रिभुवन प्रभवे) तीन लोक के नाथ (जिनाय) जिनेश्वर के लिये (नमः) नमस्कार हो।
Importance of shri Arihanta deva:- I respectfully bow down and salute the lord of all the three universes. Sri Arihanta deva - seated in samavasarana sabhā (holy assembly), created by kuber; which is five thousand dhanushas above the ground in space and has got twenty thousands fine steps.
सालोअथ वेदिरथ वेदिरथोअपि सालो, वेदिश्च साल इह वेदिरथोअपि सालः। वेदिश्च भाति सदसि क्रमतो यदीये, तस्मै नमस्त्रिभुवप्रभवे जिनाय। 2।।
164 • Gems of Jaina Wisdom-IX