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________________ 126 Spiritual Enlightenment 100) अप्पा णिय-मणि णिम्मलउ.णियमें वसइ ण जासु । सत्य-पुराण तव-चरणु मुक्खु वि करहिं कि तासु ॥९८॥ 101) जोइय अप्पे जाणिएण जगु जाणियउ हवेइ । अपहें केरइ भावडइ विविउ जेण बसेइ ॥ ९९ ॥ 102) अप्प-सहावि परिट्ठियहँ एइउ होइ विसेसु । दीसइ अप्प-सहावि लहु लोयालोउ असेसु ॥१०॥ 103) अप्पु पयासइ अप्पु परु जिम अंबरि रवि-राउ । जोइय एत्थु म भंति करि एहउ वत्यु-सहाउ ॥ १०१ ॥ 104) तारायणु जलि बिंबियउ णिम्मलि दीसइ जेम । अप्पए णिम्मलि बिंबियउ लोयालोउ वि तेम ॥ १०२॥ 105) अप्पु वि पर वि वियाणइ जे अप्पे मुणिएण । सो णिय-अप्पा जाणि तुहुँ जोइय गाण-बलेण ॥ १०३॥ 106) णाणु पयासहि परमु महु किं अण्णे बहुएण । जेण णियप्पा जाणियइ सामिय एक-खणेण ॥१०४॥ 107) अप्पा णाणु मुणेहि तुहुँ जो जाणइ अप्पाणु । जीव-पएसहि तित्तिडउ गाणे गयण-पवाणु ॥ १०५॥ 108) अप्पहँ जे वि विभिष्ण वढ ते वि हवंति ण णाणु । ते तुहुँ तिणि वि परिहरिवि णियमि अप्पु वियाणु ॥ १०६ ॥ 109) अप्या णाणहँ गम्म पर णाणु वियाणइ जेण । तिणि वि मिल्लिवि जाणि तुहुँ अप्पा गाणे तेण ॥१०७॥ 110) णाणिय णाणिउ णाणिएण णाणिउँ जा ण मुणेहि । ता अण्णाणिं णाणमउँ किं पर बंभु लहेहि ॥ १०८॥
SR No.022373
Book TitleSpiritual Enlightenment
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogindu Deva, A N Upadhye
PublisherRadiant Publishers
Publication Year2000
Total Pages162
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size10 MB
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