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श्रीजितेन्द्रियाय नमः ।
इन्द्रियपराजयशतक । भाषापद्यानुवादसहित ।
मंगलाचरण ( अनुवादककी ओरसे ) छंद मालिनी ।
वृषभ प्रथम स्वामी, मुक्तिदानी नमामी | तुवमुखप्रगटानी, दिव्यवानी नमामी | तुवपदविसरामी, आत्मध्यानी नमामी | तुववचसरधानी, तत्वज्ञानी नमामी || १॥ आर्या ।
सुचि सूरो सोचे-व, पंडिओ तं पसंसिमो णिचं | इंदियचोरेहिं सया, लुट्टियं जस्स चरणधणं ॥ १ ॥ दोहा ।
शूरवीर पंडित वही, सदा प्रशंसागार ।
चारितधन जाकौ नहीं, हरत अक्ष-बटमार ॥ १ ॥ इंदियचवलतुरंगे, दुग्गइमग्गाणुधाविरे णिचं | भाविअ भवस्सरूवो, रुंभइ जिणवयणरस्सीहिं ॥२॥