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एगपएसो गाढं,
मणुजुत्तमर्णतयपएसं ॥ ७८ ॥ निअस एसो गढे जियो || थोवो खाত तदंसो, नामे गोए समो हि ॥ ७९ ॥ विग्धावरणे मोहे, सवोवरि वेश्वणीय जेप्पे | तस्स फुडत्तं न दवइ, विई विसेसेण सेसाणं ॥ ८० ॥ निाजाइलद लिखा, पंतंसो होइ सबधाई | बज्झतीण विजजइ, सेसं सेसाण पइसमयं ॥ ८१ ॥ सम्मदेससवविरई, उ अणविसंजोअदंसखवगे | मोहसमसंतखवगे, खीएसजोगीश्वर गुणसेढी ॥ ८२ ॥ गुणसेढी दलरयणा
समयमुदयादसंखगुण पाए || एअगुणा पुण कमसो, असंख गुणनिजरा जीवा ॥ ८३ ॥ पलियासंखंसमुहू, सासर गुण अंतरं इस्सं ॥ गुरु मिच्छ बे बसट्टी, इयरगुणे पुग्गल तो ॥८४॥ उद्धाराऊ खित्तं पलिय तिहा समयवाससयसमए || केसवहारो दीवो, दहि उतसाइपरिमाणं ॥ ८५ ॥ दद्वेखित्ते काले, जावे चजह दुह बायरो सुमो || होइ ऋतुस्सप्पिणि,
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