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[१] कमा अदु चउ च वयणे ॥ चउ दु पण तिन्नि काये, जिअगुणजोगोवयोगन्ने ॥ ३५ ॥ छसु खेसासु सगणं, एगिदिअसन्निजूदगवणेसु। पढमा चउरो तिन्नि उ नारयविगलग्गिपवणेसु ॥३६ ॥ अहखायसुहुमकेवलगि सुका छाधि सेसठाणेसु ॥ नरनिरयदेवतिरिया, थोवा दु असंखणंत गुणा ॥३॥ पण चउति पुएगिंदी, थोवा तिनि अहिया अपंतगुणा ॥ तस थोव असंखग्गी, लूजलानिल अहिअ वण पंता ॥३॥ मणवयणकाय जोगी, थोवा असंखगुण अणंतगुणा ॥ पुरिसा थोवा इत्थी, संखगुणा. पंतगुण कीवा ॥३॥ माणी कोही माई, लोभी अहिअ मणनाणिणो थोवा ॥ ओहि असंखा मइसुश्र, अहिअसमअसंख विव्हंगा॥जो केवलिणोणंतगुणा, मसुनअन्नाणि छतषण, तुला ॥ सुहुमायोका परिहार संखयहखाय खगुणा ॥४१॥ देम समश्य संखा, देस असखगुणपंतगुण अनेया । अवश्य संख प्रता, मोहित
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