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[६८] किएहा नीला काऊ, तेऊ पम्हा य सुक्क नविअरा ॥ वेअगखश्वसममि--च्छ मीस सासाण सन्निवरे॥ १३॥ आहारेअर नेआ, सुरनिरय. विजंगमइ सुयोहिदुगे॥ सम्मत्ततिगे पम्हासुक्कासन्नीसु सन्निदुगं ॥ १४ ॥ तमसन्निअपज्ज. जुलं, नरे सबायरअपज्जतेकए ॥थावर गिदि पढमा--चन बार असन्नि दुदु विगले ॥ १५ ॥ दस चरम तसे अजया हारगतिरितणुकसायदु. अनाणे ॥ पढम तिलेसानविअर अचख्खुनपु. मिच्छिसवे वि ॥१६॥ पज्जसन्नी केवल दुगे, संजममणनाणदेसमणमीसे। पण चरमपज वयणे, तिय छ व पजिअर चख्खुमि॥१७॥ थीनरपणिंदि चरमा-चउ अणहारे दुसन्नि छ अपजा॥ ते सुहुमअपज्ज विणा, सासणि इत्तो गुणे बुच्छे ॥१७॥ पण तिरि चन सुरनिरए, नरसन्निपणिंदिलवतसि सवे ॥ इगविगलजूदगवणे, दुदु एगं गश्तसपनवे ॥ १५ ॥ वेअतिकसाय नव दस, लोग्ने चन अजय द ति अनापतिगे ॥ बारस