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६४] नराउ कम्मे, वि एवमाहारदुगि हो ॥१६॥ सुरोहो वे उव्वे, तिरिअनराजरहियो अ तम्मिस्से ॥ वेअतिगाश्म बिअतिअ-कसाय नव दु चल पंच गुणा ॥ १७ ॥ संजलणतिगे नव दस, लोहे चउ अजय दु ति अनाणतिगे॥ बारस अघरकुचख्खुसु पढमा अहक्खाय चरिम चऊ ॥ २७ ॥ मणनाणि सग जयाई, समय
अ घन दुन्नि परिहारे ॥ केवल दुगि दो चरमा, जयाश् नव मसुशोहि दुगे ॥१५॥ अड उवसमि च वेअगि, खइए श्कार मिच्छ. तिगि देसे ॥ सुहृमि सठाणं तेरस, आहारगि निअनिअगुणोहो ॥ २७ ॥ परमुवसमि वहता, आउ न बंधंति तेण अजयगुणे ॥ देव मणुयाउ हीणो, देसासु पुण सुराउ विणा ॥१॥ आहे अट्ठारसयं, थाहारगुणमा लेसतिगे॥ तं ति. त्योणं मिच्छे, साणाश्सु सव्वहिं ओहो ॥॥ तेऊ निरय नवूणा, उजोथचन निरयबार विणु सुका ॥ विणु निरयबार पम्हा, अजिणाहारा