SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [४५] आउंटण गुरु अ पारि मह सब ॥ एगबिया. सणि अन, सग गगणे अउंट विणा ॥१॥ अन्न सह सेवा गिह, उख्खित्त पमुच्च पारि मह सब । विगई निविगए नव, पमुच्चविणु अंबिले अह ॥२०॥ अन्न सह पारि मह सब, पंच खवणे ब पाणि खेवाई॥ चउ चरिमंगुठाई, निग्गदि अन्न सह मह सब ॥१॥ बुद्ध महु मजतिवं, चउरो दव विगश्चनर पिंमदवा ॥ घय. गुल-दहियं-पिसियं, मख्खणपक्कन्न दो पिंडा ॥ २५॥ पोरिसि समवळं, उन्नत्त निविगर पोरिसाइ समा ॥ अंगुट्ट-मुष्टि-गंठो सचित्त दवाइभिग्गदियं ॥ २३॥ विस्सरणमणानोगो, सहस्सागारो सयं मुदपवेसो॥ पच्छन्नकाल मेदाई, दिसिविवजासु दिसिमोहो ॥२४॥ साहुवयण उग्घाडा, पोरिसि तणुसुथ्थया समादित्ति ॥ संघाश्कज महत्तर, गिदत्य बंदाइ सागारी ॥ २५॥आउंटणमंगाणं, गुरुपाहुणसाहु गुरुअप्जुठाणं ॥ परिगवण विहिगहिए, जईण पावर
SR No.022371
Book TitlePrakaran Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagardas Pragjibhai
PublisherNagardas Pragjibhai
Publication Year1932
Total Pages230
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy