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[३०] त्यतियं, पिंमत्य पयत्य रुवरहिअत्तं ॥ छनमत्थकेवलित्तं, सिद्धत्तं चेव तस्सत्थो ॥ ११ ॥ न्ह. वणञ्चगेहिं उउभत्थ वत्थपडिहारगेहिं केवलियं ॥ पलियंकुस्सग्गेहि य, जिणस्स नाविज सिद्धत्तं ॥१२॥उढाहोतिरियाणं, तिदिसाण निरिख्खणं वजहवा ॥ पच्छिम दाहिण वामाण, जिणमुहनत्यदिहिजुयो ॥ १३ ॥ वन्नतियं वन्नत्थालंबणमालवणं तु पडिमाई ॥जोग जिण मुत्त सुत्ती-मुद्दानेएण मुद्दतियं ॥ १४ ॥ अन्नुन्नंतरिअंगुलि कोसागारेहिं दोहिं हत्थेहिं ॥ पिट्टोवरि कुप्परसं-विएहिं तह जोगमुद्दत्ति ॥१५॥ चत्तारि अंगुलाई, पुरको ऊणाई जत्थ पच्छिमयो । पायाणं उस्सग्गो, एसा पुए होजिणमुद्दा॥१६॥ मुत्तासुत्तीमुद्दा, जत्थ समा दोवि गनिआ हत्था ॥ ते पुण निलाडदेसे, लग्गा अन्ने अलग्गत्ति ॥१७ ।। पंचंगो पणिवाओ, थयपाढो होइ जोग मुद्दाए ॥ वंदण जिणमुदाए, पणिहाणं मुत्तसुत्तीए ॥ १७ ॥ पणिहाणतिगं चेश्य-मुणिवंदण पत्थ