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" अहिगार च वं- दणिक " सर पिऊं" चढद जिला || ३ || चउरो "थुइ निमित्तट्ट - बारह
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हे सोल आगारा ॥ गुणत्रोत दोस उस्सग्ग माप युत्तं च सगवेला || ४ || दस सा यणचाओ, सवे चिश्वंदलाइ गणा । चडवीस दुवारेहिं, दुसहस्सा हुंति चसयरा || || तिन्नि निसोह। तिन्नियो, पयाहिणा तिन्नि चैत्र य पणामा || तिविहा पूया य तहा, यवत्थतिय जावणं चैव ॥ ६ ॥ तिदिसि निरिखखण विरई, पयभूमि पमजणं च तिक्खुत्तो ॥ वन्नाइतियं मुद्दा -तियं च तिविहं च पणिहाणं ॥ ७ ॥ घर जिणदर जिणपूया - त्रावारच्चा निसीही तिगं ॥ अग्गद्दारे मज्झे, तश्या विश्वंदनणासमये ॥ ८ ॥ अंजलिवद्धो अद्धोगो का तिपणामा ॥ सव्वत्थ वा तिवारं सिराइ नमणे पणामतियं ॥ ए ॥ अंगग्गभाव नेया, पुप्फादार त्यहिं पूयतिगं ॥ पंचुवयारा होवयार सोवयारा वा ॥ १० ॥ नाविज्ज अव
अ पंच