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मणसावि नपत्रए ॥१०॥ गहणेसु नचिठेद्या, बीएसु हरिएसुवा, उदगंमि तहा निच्चं, उत्तिंग पणगेसु वा ॥ ११ ॥ तस्से पाणे नहिंसेज्जा, वाया अव कम्मुणा, उवरयो सब जूएसु पासेज विविहं जगं ॥ १५॥ अठ सुहमा पेहाए, जाइ जाणितु संजए; दया हिगारी पूएसु, बास चिठ सरहिं वा ॥१३॥ कय. राई अउ सुहमाई, जाई पुल्लेद्य संजए, श्माई ताई मेहावी, आश्वखेज वियक्वणो ॥१५॥ सिषेहिं पुप्फ सुहुमं च, पाणुतिंग तहे वय, पणगं बीयं हरियंच, अंडसुहमं च अवमं ॥१५॥ एवमेयाणि जाणित्ता, सब भावेण संजए, अप्पमत्तो जश निच्च; सबिंदिय समाहिए ॥१६॥ धुवंच पमिलेदेजा, जोगसा पाय कंबलं, सेज्ज मुच्चार जूमिंच, संथारं अनुवासणं ॥ १७॥ उ. चारं पासवणं, खेल सिंघाण जल्लियं, फासुयं पडिलेदिजा, परिगवेज संजए ॥१७॥ पविसित्तु परागारं, पाणगलोयणस्स वा, जयं चिट्टे